प्रेम-प्रीत के रंग ले, आया है ऋतुराज। प्रणय-प्रीत में मस्त है, अब तो सकल समाज।। -- चोंच कपोत लड़ा रहे, करते दिल की बात। मिलकर यापन कर रहे, जन्म-ज़िन्दगी साथ।। -- शाखाओं पर आ गये, नवपल्लव परिधान। मौसम है मधुमास का, पंछी गाते गान।। -- सेमल पर छाये सुमन, वन में खिला पलाश। सूरज देता ऊर्जा, निर्मल है आकाश।। -- सबके लिए बसन्त का, मौसम है अनुकूल। फागुन में मन मोहते, ये पलाश के फूल।। -- अंगारा सेमल हुआ, वन में खिला कपास। मन के उपवन में उठी, भीनी मन्द-सुवास।। -- सरसों फूली खेत में, पीताम्बर को धार। देख अनोखे रूप को, भ्रमर करे गुंजार।। -- कुदरत ने पहना दिये, नवपल्लव परिधान। गंगा तट पर हो रहा, शिवजी का गुणगान।। -- |
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सोमवार, 15 मार्च 2021
दोहे "उपवन में अब रंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसबके लिए बसन्त का, मौसम है अनुकूल।
जवाब देंहटाएंफागुन में मन मोहते, ये पलाश के फूल।।
सुंदर दोहे....
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-3-21) को "धर्म क्या है मेरी दृष्टि में "(चर्चा अंक-4007) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
अंगारा सेमल हुआ, वन में खिला कपास।
जवाब देंहटाएंमन के उपवन में उठी, भीनी मन्द-सुवास।।
वाह....
अति सुंदर...
आदरणीय, सभी दोहे बेहतरीन हैं।
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
शाखाओं पर आ गये, नवपल्लव परिधान।
जवाब देंहटाएंमौसम है मधुमास का, पंछी गाते गान।।
अति सुंदर
वाहः बेमिसाल चित्रण वसन्त के साधुवाद और वन्दन
जवाब देंहटाएंमधु ऋतु का सुंदर वर्णन !
जवाब देंहटाएंसुंदर ! होली पर सुंदर सतरंगी दोहे।
जवाब देंहटाएंसेमल पर छाये सुमन, वन में खिला पलाश।
जवाब देंहटाएंसूरज देता ऊर्जा, निर्मल है आकाश।।
ऊर्जावान कविता सादर नमन।
बहुत सुंदर दोहे ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर