कितनी
सुन्दर प्यारी-प्यारी। यह
मोनी है सबसे न्यारी।। रंग
श्वेत है कान खड़े हैं। बिल्ली
के नाखून बड़े हैं।। पास
सभी के यह आ जाती। दूध-मलाई
चूहे खाती।। अपनी
भाषा में कुछ कहती। उछल-कूद
करके थक जाती।। पलभर
में यह फिर सो जाती। आहट
को सुनकर जग जाती।। लगता
इसका रूप सलोना। बच्चों
का यह एक खिलोना।। |
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शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2022
बालकविता "मेरी बिल्ली प्यारी-प्यारी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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जीवन में पशुओं का मूल्य समझाती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बालगीत
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर सर।
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