उगते-ढलते
सूर्य की, उपासना का पर्व।। भारतवासी
कर रहे, छठ-पूजा पर गर्व।१। मौसम
के बदलाव से, शीतल हुआ समीर। छठ-पूजा
पर आ गये, लोग सरोवर तीर।२। ढलते
सूरज का जहाँ, होता है गुणगान। सर्वधर्म
समभाव का, भारत देश महान।३। समरसता
के मन्त्र का, बाँट रहा उपहार। उत्सव
मानव मात्र के, जीवन के आधार।४। परम्परा-त्यौहार
हैं, जन गण मन के प्राण। नहीं
चाहिए विश्व से, हमको पत्र-प्रमाण।५। छठपूजा
पर कीजिए, निष्ठा से उपवास। लोग
घाट पर कर रहे, माता की अरदास।६। लाया
है उल्लास को, छठ-माँ का त्यौहार। व्रत-पूजन
करके करो, अपने शुद्ध विचार।७। होता
है सन्तान से, माता का सम्बन्ध। रिश्ते-नातों
में नहीं, होता है अनुबन्ध।८। |
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रविवार, 30 अक्तूबर 2022
दोहे "छठ-माँ का त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(३१-१०-२०२२ ) को 'मुझे नहीं बनना आदमी'(चर्चा अंक-४५९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंछठ पर्व की अनुपम झांकी ।
जवाब देंहटाएं