आज जरूरत है गांधी जैसे तेवर अपनाने की आज जरूरत जन-गण-मन के सोये भाव जगाने की।। आँखे करके बन्द चमन के माली अलसाये हैं, नौनिहाल पादप जीवन की बगिया में मुर्झाये हैं, आज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की। आज जरूरत जन-गण-मन के सोये भाव जगाने की।। मँहगाई की चक्की में, निर्धन जन पिसते जाते हैं, ढोंगी सन्त-महन्त मजे से, चन्दन घिसते जाते हैं, आज जरूरत रावण से, सीता की लाज बचाने की। आज जरूरत जन-गण-मन के सोये भाव जगाने की।। राम-कृष्ण की मर्यादा का ध्यान हमें धरना है, काले अंग्रेजों के बल का हमको मर्दन करना है, आज जरूरत है गांधी जैसे तेवर अपनाने की। आज जरूरत जन-गण-मन के सोये भाव जगाने की।। |
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शुक्रवार, 19 अगस्त 2011
"गीत-...अन्ना जी को ताकत देना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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keya baat hai sahab
जवाब देंहटाएंetni sundar rachana
अण्णा आम आदमी की सबसे बड़ी ताक़त है और उसकी ताक़त हैं हम-आप, सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्रीजी क्या बात है आपने तो बहुत ही सुंदर अन्नाजी के पक्छ में गीत लिख डाला /आज ऐसे ही जोश दिलानेवाले गीतों की जरुरत है, काले अंग्रेजों से जीतने के लिए / बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंसचमुच सर जागृति ही इलाज है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर आवाहन...
सादर बधाई....
वाह वाह वाह वाह दादा अब इसी मोड मे रहना इस आंदोलन को आपकी लेखनी की आवश्यकता है
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्रीजी .... क्या बात है ...आपने अन्नाजी के पक्छ में गीत ... आज ऐसे ही गीतों की जरुरत है ....
जवाब देंहटाएंgood... hum bhee saath hain
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंअहिंसक रह कर भी हम सबको अन्ना के साथ मिलके गांधीवादी तरीके से भ्रष्टाचार मिटाना है |
बहुत सुन्दर और प्रेरणादायी रचना |
आभार |
आदरनीय शास्त्री जी,आपकी जोशीली रचना उत्कृष्ट है,आपकी शैली बहुत सुन्दर है.
जवाब देंहटाएंआज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की।
जवाब देंहटाएंआज जरूरत जन-गण-मन के सोये भाव जगाने की।
bilkul sahi , iske lie anna ka sath dena hi hoga
vande maatram
ojaswi rachna...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व् सार्थक प्रस्तुति aaj की prastithiyon me
जवाब देंहटाएंBLOG PAHELI NO.1
bailkul theek kha ..ab jagrit hone ka samay aa gya hai....jai hind
जवाब देंहटाएंमँहगाई की चक्की में, निर्धन जन पिसते जाते हैं,
जवाब देंहटाएंढोंगी सन्त-महन्त मजे से, चन्दन घिसते जाते हैं,
आज जरूरत रावण से, सीता की लाज बचाने की।
आज जरूरत जन-गण-मन के सोये भाव जगाने की।।
सुन्दर पंक्तियाँ! सटीक लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
aaj zaroorat aapke jaise kavi ke aage aane kee,
जवाब देंहटाएंaaj zaroorat aapki tarah ojasvi bhav jagane kee.
sundar abhivyakti.badhai.
आज देश को ऐसे ही लोगों की जरुरत है ...
जवाब देंहटाएंप्रेरक और सार्थक सन्देश !
आभार !
आज वास्तव में गांधी जैसे तेवरों की ही आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंउत्साह जगाती कविता।
जवाब देंहटाएंआदरनीय शास्त्री जी,आपकी जोशीली रचना बहुत सुन्दर है..सार्थक ...धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंआँखे करके बन्द चमन के माली अलसाये हैं,
जवाब देंहटाएंनौनिहाल पादप जीवन की बगिया में मुर्झाये हैं,
आज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की।
आज जरूरत जन-गण-मन के सोये भाव जगाने की।।
" जे मारग पैर धरीजै ,शीश दीजै,कान न कीजै"
ये लडाई मानवता ,की है ,सच्चरिता की है . देश को महफूज रखने की है , आगे बढ़ो हम साथ हैं /
राजा का क्या है...वो तो भोग-विलास के लिए ही बना है...उस जगाने की ज़रूरत है...जनता जाग गयी तो वो भी भाग खड़ा होगा...
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