मित्रों! अभी अपनी कुछ परेशानियों के कारण नेट पर नियमित नहीं हो पाऊँगा। कुछ रचनाएँ शैड्यूल की हैं आप इनका आनन्द लेते रहिए। जीवन के इस सम्मेलन में, आना तो मजबूरी है। आये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।। जाने कितने स्वप्न संजोए, जाने कितने रंग भरे। ख्वाब अधूरे, हुए न पूरे, ठाठ-बाट रह गये धरे। सरदी-गरमी, धूप-छाँव को, पाना तो मजबूरी है। आये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।। जितना आगे कदम बढ़ाया, मंजिल उतनी दूर हो गयीं। समरसता की कल्पनाएँ सब, थककर चकनाचूर हो गयीं। घिसी-पिटी सी रीत निभाना, जन-जन की मजबूरी है। आये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।। बचपन बीता, गयी जवानी, सूरज ढलने वाला है। चिर यौवन को लिए हुए, मन सबका ही मतवाला है। दरवाजों की दस्तक को, पढ़ पाना बहुत जरूरी है। आये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।। |
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सोमवार, 22 अगस्त 2011
"बहुत जरूरी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ज़िन्दगी जैसी मिले उसे हर हाल मे मुस्कुराते हुये जीना चाहिये मजबूरी बनाकर नही…………हमारा तो यही फ़ंडा है ज़िन्दगी जीने का…………सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
ज़िन्दगी के हर पल हँसी ख़ुशी बिताना चाहिए न जाने कब क्या हो जाए! हर इंसान के जीवन में दुःख का आना निश्चित है पर हमेशा मायूस रहकर जीने से कोई फायदा नहीं! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंबचपन बीता, गयी जवानी,
जवाब देंहटाएंसूरज ढलने वाला है।
चिर यौवन को लिए हुए,
मन सबका ही मतवाला है।
दरवजों की दस्तक को, पढ़ पाना बहुत जरूरी है।
आये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।।
बहुत ही सुंदर विचार / शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
" http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /
जीवन के इस सम्मेलन में, आना तो मजबूरी है।
जवाब देंहटाएंआये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।।
बहुत सही लिखा है आपने
बहुत सुन्दर शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंइस नए ब्लॉग में पधारें |
काव्य का संसार
दरवाजों की दस्तक को, पढ़ पाना बहुत जरूरी है।
जवाब देंहटाएंआये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।।
- बहुत बड़ा सच कह दिया आपने.आभारी हूँ .आगे भी सुनने को उत्सुक रहूँगी .
दरवाजों की दस्तक को, पढ़ पाना बहुत जरूरी है।
जवाब देंहटाएंआये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।।
This is fine one & realistic ,very impressive .Thanks .
बहुत सुंदर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
वाह! शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसमय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
आपकी हर रचना कुछ न कुछ संदेश लिये हुये होती है. धन्यवाद,,
जवाब देंहटाएंसीधी सच्ची बात की इतनी काव्यात्मक प्रस्तुति ,अति -सुन्दर एवं मनोहरं ... ...शुक्रिया ... रमादान (रमजान ,रमझान )मुबारक ,क्रष्ण जन्म मुबारक .मैं भी अन्ना ,तू भी अन्ना ,सारे अन्ना हो गए ,दिग्गी ,सिब्बल और मनीष सब चूहे बिलों में सो गए (डॉ .वेद प्रकाश ).......ॐ भूर्भुवास्व .....कृष्णा -अन्ना प्रचोदयात ...
जवाब देंहटाएं....
कुँवर कुसुमेश
अन्ना के अभियान में,जनता उनके साथ.
शायद भ्रष्टाचार से,अब तो मिले निजात.
अब तो मिले निजात,साथ दो मुरली वाले.
जिधर देखिये उधर,लूट-हत्या-घोटाले.
बने नया इतिहास,लिखे यह पन्ना-पन्ना.
सर्व -व्यापी सर्व -भक्षी भ्रष्टाचार हिन्दुस्तान की काया में कैंसर सा फ़ैल गया है .".............ॐ भूर्भुवास्व ..........कृष्णा अन्ना प्रचोदयात .......ही अब इसका खात्मा करेगा .
.......
जय अन्ना ,जय भारत . . रविवार, २१ अगस्त २०११
गाली गुफ्तार में सिद्धस्त तोते .......
http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/08/blog-post_7845.html
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
http://sb.samwaad.com/
रविवार, २१ अगस्त २०११
सरकारी "हाथ "डिसपोज़ेबिल दस्ताना ".
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बहुत सुंदर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
अच्छी प्रस्तुति .. जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |जन्माष्टमी के लिए हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुंदर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंआपकी परेशानियाँ जल्द समाप्त हों ...
शुभकामनायें !
बहुत सुंदर, इसलिए कमेंट करके बधाई देना भी बहुत जरूरी है।
जवाब देंहटाएं------
लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
जीवन के इस सम्मेलन में, आना तो मजबूरी है।
जवाब देंहटाएंआये हैं तो कुछ कह-सुनकर, जाना बहुत जरूरी है।।
bahut umda
बचपन बीता, गयी जवानी,
जवाब देंहटाएंसूरज ढलने वाला है।
चिर यौवन को लिए हुए,
मन सबका ही मतवाला है।
बहुत ही बढ़िया
शानदार अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन की गहनता को सरलता से व्यक्त करती पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएं