बरस रहे हैं रिम-झिम मेघा, पुरवइया गाती है। आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।। छम-छम पड़ती बारिश में, हम धोएँ मन के मैल सभी, सदा प्यार से रहने की, हम सौगन्धें लें आज-अभी, प्रेम-प्रीत का पानी पीकर, ही हरियाली आती है। आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।। धन-दौलत से नहीं कभी भी, प्यार खरीदा जाता है, जिसमें कोमल भाव भरे हो, पास उन्हीं के आता है, है अनमोल देन ईश्वर की, यह नैसर्गिक थाती है। आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।। फूल और काँटे जीवन भर, संग-संग ही रहते हैं, आपस में दोनों मिल-जुलकर, अपना सुख-दुख कहते हैं, इनकी जीवन कथा, प्रेम की सीख हमें सिखलाती है। आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।। |
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सोमवार, 8 अगस्त 2011
"गीत-..पुरवइया गाती है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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्यही है ज़िन्दगी का गीत …………प्रेम प्यार की भाषा सबको अपना बनाती है…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar
जवाब देंहटाएंbahut sunder aap li lekh
kavi ki bavanaye
bahut kub
धन-दौलत से नहीं कभी भी, प्यार खरीदा जाता है,
जवाब देंहटाएंजिसमें कोमल भाव भरे हो, पास उन्हीं के आता है,
सुन्दर अभिव्यक्ति ।
छम-छम पड़ती बारिश में, हम धोएँ मन के मैल सभी,
जवाब देंहटाएंसदा प्यार से रहने की, हम सौगन्धें लें आज-अभी,
प्रेम-प्रीत का पानी पीकर, ही हरियाली आती है।
आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।।
मनमोहक पंक्तियाँ! हर एक शब्द दिल को छू गई! बेहद ख़ूबसूरत गीत!
पंक्तियाँ दिल को छू गई...ख़ूबसूरत गीत!
जवाब देंहटाएंएकदम प्रकृति की तरह पवित्र यह सुन्दर गीत मन को खुशी और शांति प्रदान करता है और बहुत सुन्दर बाते कहता है...बस सुन्दर ज्ञानमयी बातों की रिम झिम..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीतमय प्रस्तुति....सुंदर प्रकृति का मनोहारी वर्णन..।
जवाब देंहटाएंuttam ati uttam barkha hume bulati hai.bahut achcha laga yeh geet.
जवाब देंहटाएंसच कहा है आपने दौलत से प्रेम नहीं खरीदा जा सकता है .आभार itni सुन्दर भावभरी रचना हेतु .
जवाब देंहटाएंbilkul aadarniya,
जवाब देंहटाएंaao bheegte hain.....warsha me premotsav laate hain.....
khoobsoorat fuaron se saji rachna.....
bhaut khubsurat jindgi ka geet hai...
जवाब देंहटाएंऔर सबको झुमाती है।
जवाब देंहटाएं.......
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
धन-दौलत से नहीं कभी भी, प्यार खरीदा जाता है,
जवाब देंहटाएंजिसमें कोमल भाव भरे हो, पास उन्हीं के आता है,
है अनमोल देन ईश्वर की, यह नैसर्गिक थाती है।
बहुत सुन्दर भावों से भरी कविता.और सत्य को भी सुन्दरता से प्रगट करती .आभार.
वाह शास्त्री जी, सुंदर गीत पढवाया आपने|
जवाब देंहटाएंwah bahut hi sunder bhav liye.barish ke maadhyam se achcha sandesh deti hui sunder post.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंसुहाने मौसम का बहुत ही
जवाब देंहटाएंमधुर गीत है । आभार बावू
जी !
आकर सावन में भीगें सब।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
sunder sandesh deta geet
जवाब देंहटाएंधन-दौलत से नहीं कभी भी, प्यार खरीदा जाता है,
जवाब देंहटाएंजिसमें कोमल भाव भरे हो, पास उन्हीं के आता है,
बहुत सुंदर भाव हैं शास्त्री जी। मन खुश हुआ!!
ख़ूबसूरत बरखा गीत...
जवाब देंहटाएंएक आनन्ददायक गीत के लिये धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंहमारे बुलाने से जब आप ब्लॉगर्स मीट में आ गए तो भला बरखा के बुलाने से हम क्यों न जाएंगे ?
जवाब देंहटाएंअब एक सवाल हमारा है। जिसे हल करना बिल्कुल भी अनिवार्य नहीं है।
क्या आप जानते हैं कि कोई आया या नहीं आया लेकिन ब्लॉगर्स मीट वीकली का आयोजन बेहद सफल रहा ?
good
जवाब देंहटाएंआओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है
जवाब देंहटाएंyahaan to barkhaa aa hee nahee rahee hai!!!
धन-दौलत से नहीं कभी भी, प्यार खरीदा जाता है,
जवाब देंहटाएंजिसमें कोमल भाव भरे हो, पास उन्हीं के आता है,
है अनमोल देन ईश्वर की, यह नैसर्गिक थाती है।
आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।
Beautiful and inspiring creation !
.
बहुत सुन्दर...वाह!
जवाब देंहटाएंdr.saheb aaj to aapane barish me bhigo hi diya.
जवाब देंहटाएंshandar ...sahi kaha ...aaj aapne to barish me bhigo diya hai ..is baat par mai bhi JOGI " sir se sahemat hu
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