अन्ना के सत्याग्रह से, हारी संसद की खादी है। साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।। निर्धन होता जाता निर्धन, धनवानों की चाँदी है, अंग्रेजी की बनी हुई है अपनी भाषा बाँदी है, झूठा पाता न्याय हमेशा, सच्चा ही फरियादी है। साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।। लूट-लूट भोली जनता को, अपनी भरी तिजोरी है, घूसखोर आकाओं ने, फैला दी रिश्वतखोरी है, लोकतन्त्र में राज कर रहा, धन-बल पर उन्मादी है। साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।। सत्ताधीशों ने पग-पग पर, कुटिल चाल अपनाई थी, किन्तु सत्य की हुंकारों से, हर-पल मुँहकी खाई थी, कड़वी औषधि देने से ही, मिटता ताप मियादी है। साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।। काली रात अभी गुज़री है, थोड़ा हुआ सवेरा है, कड़ी धूप में चलने को, पथ पड़ा अभी तो पूरा है, अन्ना के पीछे-पीछे, अब भारत की आबादी है। साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।। |
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रविवार, 28 अगस्त 2011
"मिली आधी आजादी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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श्री मान जी आपने अपनी कविता के द्वारा बिलकुल सही बात कही है अभी तक हमें आधी आजादी ही मिली है बाकि भी देखते है कब मिलती है ....
जवाब देंहटाएंसुखमय भारत।
जवाब देंहटाएंसत्ताधीशों ने पग-पग पर, कुटिल चाल अपनाई थी,
जवाब देंहटाएंसाठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।।
बहुत सुन्दर
बधाई ||
sundar kavita....badhai..
जवाब देंहटाएंpoori ajaadi ki prateeksha hai..
जवाब देंहटाएंकाली रात अभी गुज़री है, थोड़ा हुआ सवेरा है,
जवाब देंहटाएंकड़ी धूप में चलने को, पथ पड़ा अभी तो पूरा है,
अन्ना के पीछे-पीछे, अब भारत की आबादी है।
साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।।
BAHUT KHOOB
बहुत ही ओजपूर्ण है आपकी ये रचना...मज़ा आ गया...
जवाब देंहटाएंश्री मान जी आपने अपनी कविता के द्वारा बिलकुल सही बात कही है अभी तक हमें आधी आजादी ही मिली है .
जवाब देंहटाएंकाली रात अभी गुज़री है, थोड़ा हुआ सवेरा है,
कड़ी धूप में चलने को, पथ पड़ा अभी तो पूरा है,
अन्ना के पीछे-पीछे, अब भारत की आबादी है।
साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।।
Mubarak ho .
बहुत सुन्दर्
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएं 1 ब्लॉग सबका ... की तरफ से
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबधाई ||
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 29-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंअन्ना जी जीत ...भले ही आधी जरुर है ...पर अधूरी नहीं
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमुझे तो लगता है कि अभी भी सत्ताधीशों की कुटिल चालें हमें लगातार देखने को मिलती रहने वाली हैं ।
काली रात अभी गुज़री है, थोड़ा हुआ सवेरा है,
जवाब देंहटाएंकड़ी धूप में चलने को, पथ पड़ा अभी तो पूरा है,
अन्ना के पीछे-पीछे, अब भारत की आबादी है।
साठ साल के बाद मिली, हमको आधी आजादी है।।
सटीक और सुन्दर प्रस्तुति
कमाल है शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंहमको तो लगता है घटना बाद में होती है, आपकी कविता पहले से ही तैयार हो जाती है।
१०३० के आस पास अन्ना बोले। ११.०२ पर आपकी पोश पब्लिश ...
आपका दिमाग दिमाग है या कम्प्यूटर।
ईर्ष्या हो रही है।
और क्या पंक्ति है ...
कड़वी औषधि देने से ही, मिटता ताप मियादी है।
अद्भुत!
कमाल है शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंहमको तो लगता है घटना बाद में होती है, आपकी कविता पहले से ही तैयार हो जाती है।
१०३० के आस पास अन्ना बोले। ११.०२ पर आपकी पोश पब्लिश ...
आपका दिमाग दिमाग है या कम्प्यूटर।
ईर्ष्या हो रही है।
और क्या पंक्ति है ...
कड़वी औषधि देने से ही, मिटता ताप मियादी है।
अद्भुत!
ओजपूर्ण ....भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.
जवाब देंहटाएंकाली रात अभी गुज़री है, थोड़ा हुआ सवेरा है,
जवाब देंहटाएंकड़ी धूप में चलने को, पथ पड़ा अभी तो पूरा
baikul sahi kaha aapne abhi thoda hi savera kaha jayega.nice .
सत्य बयान करती रचना |बहुत सही लिखा है |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर और सामयिक रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने! उम्दा रचना ! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बधाई : देश-वासियों
जवाब देंहटाएंस्वामी फिर पकड़ा गया, धरे शिखंडी-वेश,
सिब्बल के षड्यंत्र से, धोखा खाता देश,
धोखा खाता देश, वस्त्र भगवा का दुश्मन,
टीमन्ना से द्वेष, कराता उनमे अनबन,
अग्नि का उद्देश्य, पकाता अपनी खिचड़ी,
है धरती पर बोझ, बुनाये जाला-मकड़ी ||
जीत की बहुत -बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंगज़ब की प्रस्तुति गहरा वार करती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!!!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आज ही हल्द्वानी से लौटी हूं। नैनीताल जाना नहीं हुआ, क्योंकि वहाँ की एक सड़क क्षतिग्रस्त हो गयी थी तो कार्यक्रम को हल्द्वानी करना पड़ा। खटीमा के कुछ लोग भी आए थे उनसे मिलना हुआ और आपके बारे में चर्चा भी।
जवाब देंहटाएंबेदिली क्या युं ही दिन गुजर जायेंगे
जवाब देंहटाएंसिर्फ़ जिंदा रहे हम त्तो मर जायेंगे