सुबह हुई अब तो उठो, खोलो मन का द्वार। करके पूजा-जाप को, लो बुहार घर-बार।१। सुथरे तन में ही रहे, निर्मल मन का वास। मोह और छलछद्म भी, नहीं फटकता पास।२। श्रम से अर्जित आय से, पूरी होती आस। सागर के जल से कभी, नहीं मिटेगी प्यास।३। चलना ही है जिन्दगी, रुकना तो है मौत। सूरज जग रौशन करे, टिम-टिम हों खद्योत।४। |
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मंगलवार, 9 अगस्त 2011
"दोहे-...टिम-टिम हों खद्योत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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vah keya baat hai
जवाब देंहटाएंbavanao ke bahut sundar mal
waw
सुन्दर दोहे... मन को भा गए...
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है...बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दोहे! लाजवाब !
जवाब देंहटाएंचलना ही है जिन्दगी, रुकना तो है मौत।
जवाब देंहटाएंसूरज जग रौशन करे, टिमटिमाए खद्योत।४।
शास्त्री जी लाजवाब। इस विधा में भी आपकी महारत हासिल है। नमन है आपको।
श्रम से अर्जित आय से, पूरी होती आस।
जवाब देंहटाएंसागर के जल से कभी, नहीं मिटेगी प्यास।३।
वाह... सत्य वचन
हमेशा की ही तरह बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसभी दोहे बढिया हैं।
जवाब देंहटाएंachche shikshaprad dohe hain,bahut pasand aaye.
जवाब देंहटाएंहमेशा की ही तरह बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसर , बहुत सुन्दर भाव - "मोह और छलछद्म भी, नहीं फटकता पास"
जवाब देंहटाएंक्या बात है...
सदा की तरह सरल सुंदर शब्दमाल
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंअब तक दोहे आपके,मैंने पढ़े अनेक.
जवाब देंहटाएंपर ये चारो वाक़ई,एक से बढ़कर एक.
वाह मन खुश हो गया इतना अद्भुत प्रस्तुति से शब्दों का तालमेल बहुत ही अच्छा है वाह एक बार फिर से :)
जवाब देंहटाएंकई जिस्म और एक आह!!!
शास्त्री जी आपकी सहज शैली पे रश्क होता है...जिस भी विषय पे चाहें आप लिख लेते हैं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
rachana padkar bachapan ki yaad taazaa ho aayi.thanx
जवाब देंहटाएंpooja paath waakai mein bahut zaroori hai!!!
जवाब देंहटाएंचलना ही है जिन्दगी, रुकना तो है मौत।
जवाब देंहटाएंसूरज जग रौशन करे, टिम-टिम हों खद्योत
behatarin post dil jeet liya
http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post.html