हुआ मौसम गुलाबी अब, चलो दीपक जलाएँ हम। घरों में धान आये हैं, दिवाली को मनाएँ हम। बढ़ी है हाट में रौनक, सजी फिर से दुकानें हैं, मधुर मिष्ठान को खाकर, मधुर वाणी बनाएँ हम। मनो-मालिन्य को अपने, मिटाने का समय है अब, घरों के साथ आँगन को, करीने से सजाएँ हम। छँटें बादल गगन से हैं, हुए निर्मल सरोवर हैं, चलो तालाब में अपने, कमल मोहक खिलाएँ हम। सुमन आवाज देते हैं, चलो सींचे बगीचों को, चमन मैं आज फिर से, कुछ नये पौधे उगाएँ हम। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011
"चलो दीपक जलाएँ हम" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
खूबसूरत प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंत्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||
बहुत बहुत बधाई ||
दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंदीवाली की ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंsundar prastuti.diwali ki shubhkamnaayen.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक आह्वान ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंपूरे शबाब पर है दीवाली का बाजार।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.......
बहुत सुन्दर लिखा है आपने बधाई
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत बढि़या ।
जवाब देंहटाएंdeepawali par sundar rachna, badhai aur shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को पढ़कर यहाँ विदेश में होने के बावजूद भी दिवाली आने का एहसास जाग गया और आँखों के सामने अपने यहाँ जो दिवाली पर माहौल बनाना शुरू हो जाता है उसका एक चल चित्र सा चलने लगा है। बहुत बढ़िया पोस्ट...आपको भी दीपावली की अग्रिम शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंछँटें बादल गगन से हैं,
जवाब देंहटाएंहुए निर्मल सरोवर हैं,
चलो तालाब में अपने,
कमल मोहक खिलाएँ हम।
बहुत ही अच्छे उद्गार।
दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएँ सर!
----
कल 22/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
bhaut acchi kavita...babu ji...dipavali ki dher sari shubhkamnayen....
जवाब देंहटाएंवाह …………बहुत सुन्दर आह्वान्।
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनायें दीपावली की |
जवाब देंहटाएंसुंदर उद्गारो की अच्छी प्रस्तुती बढिया पोस्ट,बधाई
जवाब देंहटाएंबड़ा ही सरस/प्रवाहित गीत है सर,
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
सुमन आवाज देते हैं,
जवाब देंहटाएंचलो सींचे बगीचों को,
चमन मैं आज फिर से,
कुछ नये पौधे उगाएँ हम।
क्या बात है सर , प्रगतिशील सृजन नए आयाम का सम्बहन,शुभ कामनाएं .../
छँटें बादल गगन से हैं,
जवाब देंहटाएंहुए निर्मल सरोवर हैं,
चलो तालाब में अपने,
कमल मोहक खिलाएँ हम।
अहा!
दीपावली अबके ऐसा ही प्रकाश सबके मन में बिखेरे।
सुमन आवाज देते हैं,
जवाब देंहटाएंचलो सींचे बगीचों को,
चमन मैं आज फिर से,
कुछ नये पौधे उगाएँ हम।
बहुत खूब !!
"चमन मैं आज फिर से,
जवाब देंहटाएंकुछ नये पौधे उगाएँ हम।"
"चलो इस बार मिल कर
फिर नए दीपक जलाएं हम""
दीवाली की शुभ कामनाएं....
छँटें बादल गगन से हैं,
जवाब देंहटाएंहुए निर्मल सरोवर हैं,
चलो तालाब में अपने,
कमल मोहक खिलाएँ हम।
दिवाली कि हार्दिक शुभकामनायें!
सभी पंक्तियाँ बहुत हि सुन्दर!
दीपावली पर सुंदर प्रेरणा देती कविता में आनंदित कर दिया.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक आह्वान|दीवाली की शुभ कामनाएं|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता...दिवाली की शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंदीपावली पर आपने लाजवाब रचना लिखा है! बधाई!
जवाब देंहटाएंमौसम बदलते हैं,जीवन में नयापन,नई आशाएं जाग जाती हैं.सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंbhaut hi khubsurat... happy diwali....
जवाब देंहटाएं