मित्रों! आज एक पुरानी रचना को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ! प्रियतम जब तुम आओगे तो, संग बहारें लाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। तुमको पाकर मन के उपवन, बाग-बाग हो जायेंगे, वीराने गुलशन में फिर से, कली-सुमन मुस्कायेंगे, जीवनरूपी बगिया में तुम, ढंग निराले लाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। अमराई में कोयल फिर से, कुहुँक-कुहुँक कर गायेगी, मुर्झाई अमियों में फिर से, मस्त जवानी छायेगी, अमलतास के पेड़ों पर, पचरंगी फूल खिलाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। आशा है आकर तुम मेरे, कानों में रस घोलोगे, सदियों का तुम मौन तोड़कर, मीठे स्वर में बोलोगे, अपनी साँसो के सम्बल से, मुझको तुम सहलाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। |
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शनिवार, 29 अक्टूबर 2011
"पचरंगी फूल खिलाओगे" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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सुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत प्यारी प्यारी रचना....
जवाब देंहटाएंप्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं... अंतिम पंक्तियाँ उद्वेलित कर देती हैं... सुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और प्यारी सी प्रस्तुति है.
जवाब देंहटाएंमन को हर्साती हुई,सुन्दर भाव जगाती हुई.
आभार.
सुंदर....
जवाब देंहटाएंman ko bha gayi apki kavita...sundar
जवाब देंहटाएंbahut pyara geet.aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ..
जवाब देंहटाएंप्रेममय गीत !
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंब्लॉग कमाने में कितना सहायक ? अनुभव और उदाहरण ~ ज्ञान दर्पण
badhiyaa geet
जवाब देंहटाएं्प्रेममयी सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबढ़िया गीत सर,
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
बहुत प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत .....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंAadi napay
जवाब देंहटाएंAadi napay
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