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गुरुवार, 10 नवंबर 2011
" "गुरू पूर्णिमा-गंगा स्नान"" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आप सबको भी गुरुपूर्णिमा की ढेरों बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंjameen par ek saath parivaar ke saath khichdi khane ka alag hi maja aaya hoga chitr dekh kar hi achcha lag raha hai.aap va samast parivar ko badhaai.
जवाब देंहटाएंगुरुपूर्णिमा और गुरपर्व की ढेरों बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट
गुरू पर्व और कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं.....
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 11-11-2011 को शुक्रवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंगुरुपूर्णिमा और गुरपर्व की ढेरों बधाईयाँ....
जवाब देंहटाएंगुरु पूर्णिमा और गुरु-पर्व की अनेक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंसभी को गुरू-पूर्णिमा की हार्दिक बधाई.धन्यवाद,आपने घर बैठे गुरू-पूर्णिमा के स्नान से अभारित कर दिया.
जवाब देंहटाएंजंगल में मंगल हो गया खिचड़ी खाकर। बढिया लग रही है पिकनिक। कल का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंsame to you jee....lakh lajh vadhaaiyaan hon
जवाब देंहटाएंबढ़िया चित्रावली..
जवाब देंहटाएंबधाईयाँ सर...
हालात के क़दमों पे कलंदर नहीं गिरता
जवाब देंहटाएंटूटे भी जो तारा, ज़मीं पे नहीं गिरता ,
गिरते हैं समंदर में बड़े शौक़ से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समंदर नहीं गिरता,
...
समझो वहां फलदार शजर कोई नहीं है
वोह सहन कि जिसमें पत्थर नहीं गिरता,
हैरान है कई रोज़ से ठहरा हुआ पानी
तालाब में अब क्यूं कोई कंकर नहीं गिरता,
इस बंदा-ए-खुद्दार पे नबियों का है साया
जो भूख में भी लुकमा-ए-तर पर नहीं गिरता,
कायम है क़तील अब ये मेरे सर के सुतून पर
भूचाल भी आये तो मेरा घर नहीं गिरता .
_________ क़तील शिफाई