जब भी पुरवा बयार आती है ज़िन्दगी खूब खिलखिलाती है जब भी बादल फलक घिरते हैं याद प्रीतम की तब सताती है जब भी भँवरे गुहार करते हैं तब कली ग़ुल सा मुस्कराती है सर्दियाँ शीत जब उगलतीं हैं चाँदनी भी कहर सा ढाती है ज़िन्दगीभर सफर में रहना है मंज़िलें हाथ नहीं आती है “रूप” रहता नहीं सलामत है धूप यौवन की ढलती जाती है |
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बुधवार, 16 नवंबर 2011
"ज़िन्दगी खूब खिलखिलाती है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह वाह बहुत ही मनभावन रचना ……………सीधा दिल को छू गयी।
जवाब देंहटाएंज़िन्दगीभर सफर में रहना है
जवाब देंहटाएंमंज़िलें हाथ नहीं आती है
वाह ...बहुत ही खूब कहा है ..।
wah...
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachana hai...
सब ढलकर ढह जाना है,
जवाब देंहटाएंजीवन बढ़ते जाना है।
बहुत भावमयी रचना...
जवाब देंहटाएंBeautiful creation !
जवाब देंहटाएंbahut sundar ... aur satya
जवाब देंहटाएंgajab ki rachna..bahut pasand aai.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंज़िन्दगीभर सफर में रहना है
जवाब देंहटाएंमंज़िलें हाथ नहीं आती है
bahut khoob
सुंदर रचना बढ़िया पोस्ट..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएं“रूप” रहता नहीं सलामत है
जवाब देंहटाएंधूप यौवन की ढलती जाती है
ek dam sach.
sunder abhivyakti.
ज़िन्दगीभर सफर में रहना है
जवाब देंहटाएंमंज़िलें हाथ नहीं आती है
यही ज़िन्दगी का मज़ा है...
बहुत ख़ूबसूरत रचना!
जवाब देंहटाएंपुरवा,भंवरे और शीत तो ठीक हैं। बस,बादल समस्या हैं आपके लिए!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएं----
कल 18/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
धूप यौवन की ढलती जाती है-----bahut khub !
जवाब देंहटाएंज़िन्दगीभर सफर में रहना है
जवाब देंहटाएंमंज़िलें हाथ नहीं आती है
bahut hi sundar sir....
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
.
सुन्दर ग़ज़ल सर....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई
बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति....सुन्दर ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंज़िन्दगीभर सफर में रहना है
जवाब देंहटाएंमंज़िलें हाथ नहीं आती है...
खूबसूरत रचना...
ज़िन्दगी भर सफर में रहना है
जवाब देंहटाएंमंज़िलें हाथ नहीं आती है
मंजिलें हाथ आ जायें तो सफ़र ही ख़त्म...!
सुन्दर प्रस्तुति!
बहुत ही सुन्दर रचना बधाई हो !
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पे आया हूँ और
आना सार्थक रहा !
सदस्य बन रहा हूँ !
आपको मेरे "जीवन पुष्प " ब्लॉग पे हार्दिक स्वागत है!
ज़िन्दगी सफर है....
जवाब देंहटाएंमंज़िलें कब हाथ आती है....!
bahut khub....pyaari rachna
जवाब देंहटाएंवह वह शास्त्री जी ...हलके फुल्के शब्दों में सन्देश देती रचना ...
जवाब देंहटाएं