बचपन बीता गयी जवानी, कठिन बुढ़ापा आया। कितना है नादान मनुज, यह चक्र समझ नही पाया। अंग शिथिल हैं, दुर्बल तन है, रसना बनी सबल है। आशाएँ और अभिलाषाएँ, बढ़ती जाती प्रति-पल हैं।। धीरज और विश्वास संजो कर, रखना अपने मन में। रंग-बिरंगे सुमन खिलेंगे, घर, आंगन, उपवन में।। यही बुढ़ापा अनुभव के, मोती लेकर आया है। नाती-पोतों की किलकारी, जीवन में लाया है।। मतलब की दुनिया मे, अपने कदम संभल कर धरना। वाणी पर अंकुश रखना, टोका-टाकी मत करना।। देख-भालकर, सोच-समझकर, ही सारे निर्णय लेना। भावी पीढ़ी को उनका, सुखमय जीवन जीने देना।। |
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शनिवार, 2 जून 2012
"मेरी पुरानी डायरी से" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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विचारणीय बातें लिए पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंविचारणीय सीख देती ,सुंदर रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंRESENT POST ,,,, फुहार....: प्यार हो गया है ,,,,,,
हर उम्र का अपना अलग आनन्द है..
जवाब देंहटाएंNice poem.
जवाब देंहटाएंरोटियों को बीनने को, आ गये फकीर हैं।
अमन-चैन छीनने को, आ गये हकीर हैं।।
तिजारतों के वास्ते, बना रहे हैं रास्ते,
हरी घास छीलने को, आ गये अमीर हैं।
http://mushayera.blogspot.in/2012/06/blog-post.html
मतलब की दुनिया मे, अपने कदम संभल कर धरना।
जवाब देंहटाएंवाणी पर अंकुश रखना, टोका-टाकी मत करना।।
सही कहा आपने....
मतलब की दुनिया मे, अपने कदम संभल कर धरना।
जवाब देंहटाएंवाणी पर अंकुश रखना, टोका-टाकी मत करना।।
सार्थक सन्देश देती
सांगीतिक रचना .बधाई स्वीकार करें .
कृपया यहाँ भी पधारें -
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
http://veerubhai1947.blogspot.in/
लीवर डेमेज की वजह बन रही है पैरासीटामोल (acetaminophen)की ओवर डोज़
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
देख-भालकर, सोच-समझकर, ही सारे निर्णय लेना।
जवाब देंहटाएंभावी पीढ़ी को उनका, सुखमय जीवन जीने देना।।
जीवन की सुन्दर सीख देती रचना के लिए आभार
शिक्षाप्रद सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंसुंदर विचारणीय रचना..
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ती....
अनुकरणीय संदेश है यह।
जवाब देंहटाएंभावी पीढ़ी को उनका, सुखमय जीवन जीने देना।।
जवाब देंहटाएंसुंदर विचार
Anubhav bolta hae,jaroorat sab ko sheekh lene ki hae,
जवाब देंहटाएंACHHI RACHNA
चिल्लाता है चातक प्यासा,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शब्द चयन राग और आस दोनों से संसिक्त करुणा उपजाता पर्यावरण प्रकृति प्रेम से संसिक्त गीत और सचेत कवि दृष्टि क्या कहने हैं इस गीत के, सौंदर्य देखते ही बनता है इस रूप गर्वित गद्य गीत का .ओह हमसे छोट गया था यह इतना सुन्दर मनोहर गीत ...
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http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
gahan abhivaykti....
जवाब देंहटाएंwaqt badle tho badle par aapke likhne ka zazbaa yun hi kaayam rahe...
जवाब देंहटाएंविचारणीय !
जवाब देंहटाएंयही बुढापा अनुभव के मोती लेकर आया
जवाब देंहटाएंनाती-पोतों की किलकारी,जीवन में लाया—
सही कहा,यदि बुढापा ना आया होता तो किलकारियों से
झोली कैसे भर पाती.
आदिशंकराचार्य की भज-गोविन्दम' याद आ गयी..
जवाब देंहटाएंऔर जगजीत जी का गया हुआ 'बीत गए दिन.. '
सादर
वाह ... बहुत ही बढि़या।
जवाब देंहटाएंहर उम्र की एक गरिमा होती है ...जो वह अपने साथ लेकर आती है ....हमें उसका सम्मान करना चाहिए ...सुन्दर , सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंek anubhawi insan ki jiwangatha....prerak wa vicharniya prastuti
जवाब देंहटाएं