दुर्गम पथरीला पथ है, आगे कोई सोपान नहीं। मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।। रहते हैं आराध्य देव, उत्तुंग शैल के शिखरों में, कैसे दर्शन करूँ आपके शक्ति नहीं है पैरों में, चरणामृत मिल जाए मुझे, ऐसा मेरा शुभदान नहीं। मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।। तुम हो जग के कर्ता-हर्ता, शिव-शम्भू कल्याण करो, उरमन्दिर में पार्वती के साथ, देव तुम चरण धरो, पूजा और वन्दना का, मुझ अज्ञानी को ज्ञान नहीं। मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।। भोले-भण्डारी के दर से, कोई नहीं खाली जाता, जो धरता है ध्यान आपका, वो इच्छित फल को पाता, जिससे उपमा हो शिव की, ऐसा कोई उपमान नहीं। मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।। |
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बुधवार, 20 जून 2012
"आगे कोई सोपान नहीं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार ||
शायद प्रिंटिंग दोष है -
भोले-भण्डारी के दर से, की नहीं खाली जाता,
हाँ जी प्रिंटिंग मिस्टेक ही थी। अब सुधार कर दिया है।
जवाब देंहटाएंइंगित कराने के लिए आपका आभार रविकर जी!
गुरुवर की होवे कृपा, मिले मार्ग-निर्देश |
जवाब देंहटाएंशंकर के दर्शन सुलभ, चढ़ने में क्या क्लेश ??
गुरुवर की होवे कृपा, मिले मार्ग-निर्देश |
जवाब देंहटाएंशंकर के दर्शन सुलभ, चढ़ने में क्या क्लेश ??
चढ़ने में क्या क्लेश, सीड़ियाँ चढ़ते जाएँ ।
जय जय जय गुरुदेव, खटाख़ट बढ़ते जाएँ ।
बुद्धू पंगु-गंवार, बड़ा भोला है रविकर ।
सर-सरिता गिरि-खोह, कहाँ बाधा हैं गुरुवर ।।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
वाह: बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंभोले-भण्डारी के दर से, कोई नहीं खाली जाता,
जवाब देंहटाएंजो धरता है ध्यान आपका, वो इच्छित फल को पाता,
जिससे उपमा हो शिव की, ऐसा कोई उपमान नहीं।
मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।।
पंख लग गए हैं शिव स्तुति को . अच्छी प्रस्तुति .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 20 जून 2012
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
http://veerubhai1947.blogspot.in/
भोले बाबा अपनी राहें कठिन बनाये बैठे हैं।
जवाब देंहटाएंजिससे उपमा हो शिव की, ऐसा कोई उपमान नहीं।
जवाब देंहटाएंमैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।।
जय हो भोले भंडारी की,,,,,,
'मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।।'
जवाब देंहटाएं- आसान कैसे हो - हाँसत-खेलत हरि मिलें तो हर कोइ लेय रिझाय!