कहीं धूप है कहीं छाँव है, कहीं उठ रहे बादल काले। चिड़ियाँ कलरव गान सुनातीं, मौसम के हैं ढंग निराले।। पूरब से आती है पुरवा, पश्चिम से पछुआ आती है मस्त हवाओं में मस्ती से, फसल धान की लहराती है, जंगल में मयूर ने अपने, पंख पुराने भू पर डाले। मौसम के हैं ढंग निराले।। चन्दा भी है-सूरज भी है, नभ का कितना अजब नजारा, सातों रंग समेटे उगता, धनुष इन्द्र का कितना प्यारा, पल में बनता और बिगड़ता, देख हुए बालक मतवाले। मौसम के हैं ढंग निराले।। बिछा हुआ कालीन घास का, हरियाली सबको है भाती, मेढक टर्र-टर्र चिल्लाते, वर्षा रिम-झिम राग सुनाती, आसमान का पानी पीकर, उफन रहे हैं नदियाँ-नाले। मौसम के हैं ढंग निराले।। |
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शनिवार, 15 सितंबर 2012
"मौसम के हैं ढंग निराले" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत प्यारी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह एक और प्यारी सी कविता आपकी कलम से..!
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna Shastri ji ...!!
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen ...!!
सुन्दर वर्णन, रसमय भाषा,
जवाब देंहटाएंसारे दृश्य दिखा डाले हैं।
हां जी दो दिन से इस मौसम ने करवट ली हैं ...बढिया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !:)
जवाब देंहटाएंबिछा हुआ कालीन घास का,
जवाब देंहटाएंहरियाली सबको है भाती,
मेढक टर्र-टर्र चिल्लाते,
वर्षा रिम-झिम राग सुनाती,
आसमान का पानी पीकर,
उफन रहे हैं नदियाँ-नाले।
मौसम के हैं ढंग निराले।।
काव्य सौन्दर्य छंद रस देखते ही बनता है इस गीत(प्रगीत ) का .
ram ram bhai
शनिवार, 15 सितम्बर 2012
देश मेरा - हो गया अकविता ,
हुए चंद, रूप मतवाले ,
जवाब देंहटाएंमौसम के हैं, ढंग निराले ,
प्रकृति नटी के, रंग निराले .
कुछ के मुंह के छीने निवाले ,
बढ़िया रचना लाये शास्त्री जी .
बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंपर दिल्ली का मौसम |
हाय हाय-
मनमोहक नज़ारे और दिल को छू लेने वाला कलाम !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
मौसम के हर रूप का वर्णन...बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बरसात के मौसम का चित्रण किया है शास्त्री जी बधाई एक चित्रण ये भी है की मेरे गार्डन के कितने पौधे धराशाई हो गए हैं अतिवृष्टि से
जवाब देंहटाएंमौसम के सारे रंग है कविता में !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...
:-)
pyara mausam:)
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