नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। किलकारी की गूँज सुनाती, परिवारों को यही बसाती। नारी नर की खान रही है, जन-जन का अरमान रही है। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। माता बनकर सेवा करती, मुस्कानों से घर को भरती। खाना सबके लिए बनाती, सबको खिला अन्त में खाती। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। नारि नर की सिरजनहार, नाम नारि (न+अरि) है शत्रु हजार, कौन सुनेगा करुण पुकार? डाकू से सब पहरेदार। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। नारि देती जीवन दान, शक्ति लो इसकी पहचान। मातृशक्ति का मान करो, नारि का सम्मान करो। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 19 सितंबर 2012
"नारी से घर में बसन्त है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
बढ़िया प्रस्तुती |
जवाब देंहटाएंसही बात है-
आभार ||
बहुत सार्थक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंसत्य है नारी से
घर में बसन्त है
पुरुष भी होता है
घर में कहीं कहीं
जी हा वो तो बस
होता एक संत है !
नारि देती जीवन दान,
जवाब देंहटाएंशक्ति लो इसकी पहचान।
मातृशक्ति का मान करो,
नारि का सम्मान करो।,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
RECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
सत्य को अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना ... आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसादर!
सार्थक सुन्दर प्रस्तुति ...!!
जवाब देंहटाएंआपकी भावनाओं को नमन शास्त्री जी ...!!सुबह सुबह इतनी सुन्दर रचना पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया ..!!
Beautiful creation !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी और सकारात्मक रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएंनारी की महिमा अनन्त है।
जवाब देंहटाएंsach kaha shastri ji ...
"नारी से घर में बसन्त है"
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया प्रस्तुति।
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहके बहके नररूपों को महका महका घर मिलता है।
जवाब देंहटाएंनारी से घर में बसंत है ...सच ही !
जवाब देंहटाएंअत्यंत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ..नारी से इस धरा पर बसंत है...
जवाब देंहटाएंनारी की जहाँ पूजा (सम्मान ) होती है वहाँ देवता निवास करते हैं...
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता........
बहुत सही कहा...नारी ही स्वयं बसंत है |
जवाब देंहटाएंनारी से ही तो बसंत है ||
सच्चाई की अभिव्यक्ति अतिसुन्दर गीत वाह बहुत बधाई शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएं