बेटी है,
बँगला है,
खेती है,
सभी जगह
घोटाले
हैं,
कपड़े
उजले हैं,
दिल काले
हैं,
उनके
भइया हैं,
इनके
साले हैं,
जाल में
फँस रहे,
कबूतर
भोले-भाले हैं,
गुण से
विहीन हैं
अवगुण की
खान हैं
जेबों
में रहते,
इनके
भगवान हैं
इनकी
दुनिया का
नया
विज्ञान है
दिन में
इन्सान हैं
रात को
शैतान हैं
न कोई
धर्म है
न ही
ईमान है
मुफ्त
में करते
नही
अहसान हैं
हर रात
को बदलते
नये
मेहमान है
मेरे देश
के नेता
सचमुच
महान हैं!
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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मंगलवार, 25 सितंबर 2012
"नेता सचमुच महान हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
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बिलकुल बात सटीक है, बड़े महीन महान |
जवाब देंहटाएंनियत हमेशा लगी है, क्या क्या कैसे तान ?
क्या क्या कैसे तान, बात कर नव वितान की |
अपना हिन्दुस्तान, जाति यह गिरगिटान की |
भाय भतीजावाद, नया धंधा इक पाला |
देती दुनिया दाद, करे अपना मुंह काला ||
ek alag si satya kahati hui umda kacita .
जवाब देंहटाएंbahut pasand aayi.
न कोई धर्म है
जवाब देंहटाएंन ही ईमान है
मुफ्त में करते
नही अहसान हैं
हर रात को बदलते
नये मेहमान है
मेरे देश के नेता
सचमुच महान हैं!
:)
उनकी महानता की गाथा की
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
बढिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
देश के वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य का बहुत बढ़िया शब्द-चित्र प्रस्तुत किया आपने
जवाब देंहटाएंटोपी में ये पाल रहे हैं, काले धन के तोते,
जवाब देंहटाएंबापू अगर आज तुम होते..
इसी लिए तो इन्होने स्लोगन दे दिया...मेरा भारत महान...इस तरह ये खुद महान बन बैठे...खूबसूरत व्यंग...
जवाब देंहटाएंगुण से विहीन हैं
जवाब देंहटाएंअवगुण की खान हैं..............अवगुण का पर्याय वाची अब कोयला हो गया
जेबों में रहते,
इनके भगवान हैं/इनकी दुनिया का
नया विज्ञान है
दिन में इन्सान हैं
रात को शैतान हैं.......दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय .... /न कोई धर्म है
न ही ईमान है
मुफ्त में करते
नही अहसान(एहसान ) हैं/....................इनके स्साले बहनोई और फूफा सब शैतान हैं .../देश का गिरवीं रखते ईमान है ...मेरे देश के नेता बड़े महान हैं .........नेता माने प्रेत ....कविता में मात्रा की छूट है भाई हो गया "प्रेता "...आजकल बहुत प्रखर(बहुत तेज़ ) आंच लिए आ रही है आपकी हर रचना .बधाई .
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
टोपी में ये पाल रहे हैं, काले धन के तोते,
जवाब देंहटाएंखाते दूध मलाई हैं महंगाई को रोते ..बाकी काम रविकर जी का शास्त्री जी का .....
वाकई सुंदर रचित काव्य
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंकुछ भक्त चमचों के ये
खुद होते ये भगवान हैं
भक्त इनके और
ये भक्तों के करते
रहते गुणगान हैं !
धारदार व्यंग्यकारी रचना
जवाब देंहटाएंआजकल आपकी रचनाएँ नेताओं के प्रति बहुत प्रखर लग रही हैं :)
जवाब देंहटाएंसमसामयिक स्थितियों पर व्यंग करती शानदार रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥