मैला दिल का कोना है
लेकिन बहुत सलोना है
दुनिया में दिल वालों का
चलता जादू-टोना है
जिसे प्यार का रोग लगा
उसको नैन भिगोना है
जब तक चाहा इससे खेला
मानों एक खिलौना है
कौड़ी में नीलाम मुहब्बत
मँहगा चाँदी-सोना है
जिस पर नींद चैन की आये
ये वो नहीं बिछौना है
थमता नहीं सिलसिला
जीवनभर का रोना है
हैवानों की पंचायत में
आज आदमी बौना है
“रूप” नहीं है, रंग नहीं है
बोझ हमेशा ढोना है
|
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शुक्रवार, 7 नवंबर 2014
"ग़ज़ल-आज आदमी बौना है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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Behad khubsurat gazal...lajawaab !!
जवाब देंहटाएंजिसे प्यार का रोग लगा
जवाब देंहटाएंउसको नैन भिगोना है
जब तक चाहा इससे खेला
मानों एक खिलौना है
कौड़ी में नीलाम मुहब्बत
मँहगा चाँदी-सोना है
जिस पर नींद चैन की आये
ये वो नहीं बिछौना है
थमता नहीं सिलसिला
जीवनभर का रोना है
हैवानों की पंचायत में
आज आदमी बौना है
“रूप” नहीं है, रंग नहीं है
बोझ हमेशा ढोना है
जिसे प्यार का रोग लगा
उसको नैन भिगोना है
जब तक चाहा इससे खेला
मानों एक खिलौना है
कौड़ी में नीलाम मुहब्बत
मँहगा चाँदी-सोना है
जिस पर नींद चैन की आये
ये वो नहीं बिछौना है
थमता नहीं सिलसिला
जीवनभर का रोना है
हैवानों की पंचायत में
आज आदमी बौना है
“रूप” नहीं है, रंग नहीं है
बोझ हमेशा ढोना है
बढ़िया ग़ज़ल किसे कहते हैं
इसका एक नमूना है
आज सुख़नवर बौना है।
गजल बहुत बढ़िया है |
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं