पेड़ लगाना धरा पर, मानव का है कर्म।
पर्यावरण सुधारना, हम
सबका है धर्म।।
हरितक्रान्ति से मिटेगा, धरती
का सन्ताप।
पर्यावरण बचाइए, बचे
रहेंगे आप।।
प्राणवायु का पेड़ ही, होते हैं
आधार।
पेड़ लगाकर कीजिए, धरती
का सिंगार।।
पेड़ भगाते रोग को, बनकर वैद्य-हकीम।
प्राणवायु देते हमें, बरगद, पीपल-नीम।।
कहने से वातावरण, होगा नहीं पवित्र।
धरा बचाने के लिए, वृक्ष लगाओ
मित्र।।
जागरूक होगा नहीं, जब तक हर इंसान।
हरा-भरा तब तक नहीं, भू का
हो परिधान।।
कंकरीट जबसे बना, जीवन
का आधार।
तबसे पर्यावरण की, हुई
करारी हार।।
पेड़ कट गये धरा के, बंजर
हुई जमीन।
प्राणवायु घटने लगी, छाया
हुई विलीन।।
नैसर्गिक अनुभाव का, होने
लगा अभाव।
दुनिया में होने लगे, मौसस
में बदलाव।।
|
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मंगलवार, 5 जून 2018
दोहे "वृक्ष लगाओ मित्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-05-2018) को "वृक्ष लगाओ मित्र" (चर्चा अंक-2993) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
पर्यावरण दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
कभी तो बहरे कानों तक आवाज पहुंचेगी
जवाब देंहटाएंपर्यावरण पर अतिशय सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंदोहा की 11 वीं मात्रा लघु अनिवार्य।
जवाब देंहटाएंइस नियमानुसार...
प्रथय व द्वितीय दोहा के प्रमम चरण पर पुनरावलोकन की महती आवश्यकता है।
अमित.....9200252055
दोहा छन्द के नियमों का पालन किया है मैंने।
हटाएंआपकी जानकारी का ज्ञान अभी संकुचित है मित्र।
हटाएंदोहा की 11 वी मात्रा लघु होनी अनिवार्य है।
जवाब देंहटाएंइस नियमानुसार..... सादर!
प्रथम व द्वितीय दोहे के प्रमथ चरणों में पुनरावलोकन की महती आवश्यकता है आदरेयश्री।
सातवीं दोहा तृतीय चरण भी.....
अमित सिंगारपुरिया~9200252055
जवाब देंहटाएं