जिन्दगी है तो उलझन-झमेले
रहेंगे। वेदनाओं के सँग सुख के मेले
रहेंगे।। -- जिन्दगानी बिना कुछ नही
है धरा, आसमाँ भी नहीं है नहीं है
धरा, जिन्दगी में भरे खेल-खेले
रहेंगे। वेदनाओं के सँग सुख के मेले
रहेंगे।। -- हमको जीवन मिला तो वतन भी
मिला, एक तन भी मिला एक मन भी
मिला, शुद्ध कितने भी हों फिर
भी मैले रहेंगे। वेदनाओं के सँग सुख के मेले
रहेंगे।। -- प्रेम का रोग है,
योग है भोग है, दान है पुण्य है साथ में
लोभ है, स्वार्थ के साथ में आज चेले रहेंगे। वेदनाओं के सँग सुख के मेले
रहेंगे।। -- बस्तियाँ हैं घनी किन्तु
जंगल भी है, प्रीत है मीत है किन्तु
दंगल भी हैं, लोग मधु से भरे पर विषैले
रहेंगे। वेदनाओं के सँग सुख के मेले
रहेंगे।। रूप है रंग है पर अलग ढंग
है, छा रहा है नशा जिन्दगी
दंग है, भीड़ में आदमी तो अकेले
रहेंगे। वेदनाओं के सँग सुख के मेले
रहेंगे।। -- |
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शनिवार, 2 जुलाई 2022
गीत "उलझन-झमेले रहेंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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लोग मधु से भरे पर विषैले रहेंगे।
जवाब देंहटाएंवेदनाओं के सँग सुख के मेले रहेंगे।।
सच्चाई से रु ब रु कराता गीत ।
सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंधूप और छाँव हमेशा साथ चलेंगे । किनारे अलग हैं पर समानांतर रहेंगे । स्मरण कराने के लिए आपका हार्दिक आभार शास्त्री जी । "हमारी वाणी" का विजेट काम नहीं कर रहा हमारे ब्लॉग पर । इस पेज से भी लाॅग इन नहीं हो रहा । कृपया मार्गदर्शन कीजिए ।
जवाब देंहटाएंगहन भावाभिव्यक्ति !! बहुत सुंदर !!
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