-- जो प्यासी धरती की, अपने जल से प्यास बुझाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।१। -- जो मुद्दत से तरस से थे, जल के बिना अधूरे थे, उन सूखे नदिया-नालों को, निर्मल नीर पिलाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।२। -- चरैवेति का पाठ पढ़ाने, जो धरती पर आकर के, पतित-पावनी गंगा को, जो सागर तक ले जाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।३। -- जोर-शोर के साथ गरजकर, अपना नाद सुनाते हैं, बंजर वसुन्धरा में जो, हरियाली लेकर आते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।४। -- जिन्हें देखकर पागल-मधुकर, गुंजन करने को आते, वीराने उपवन में भी, जो सुन्दर सुमन खिलाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।५। -- आहट से बादल की, जन-जीवन में सुख भर जाता है, मुरझाये चेहरे भी जिनको, देख-देख मुस्काते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।६। -- पौध धान की तो बारिश के, इन्तजार में रहती है, श्रमिक-किसानों के जीवन में, रोज़गार को लाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।७। -- जल ही जिनका जीवन है, वो नभ को तकते रहते हैं, दादुर-मोर-पपीहा के, जीवन में खुशियाँ लाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।८। -- बादल से ही इन्द्रदेव का, नाम हमेशा जुड़ा हुआ, इन्द्रधनुष का चौमासे में, “रूप” हमें दिखलाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।९। -- |
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शनिवार, 23 जुलाई 2022
गीतिका "जीवन में खुशियाँ लाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंमैं सूचित करना भूल गई
जवाब देंहटाएंक्षमा याचना
आज पटल पर यह रचना है
सादर नमन