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गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009
"एक पाती सजनी के नाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत ही बढिया... एक पत्निभगत पति के अन्तर्मन से निकली प्यार की अनमोल पाति.चित्रों ने भावनाओं को और ऊंचाई दे डाली है
जवाब देंहटाएंKyaa baat hai, ise kahte hai pyaar !!!
जवाब देंहटाएंवाह,
जवाब देंहटाएंफूल नहीं, तितली नहीं चाँद नहीं अफताब नहीं !
यही जबाब है मेरा, कि आपका कोई जबाब नहीं !
मैंने जब दर्पण देखा प्रतिरूप तुम्हारा पाया।
जवाब देंहटाएंमेरे साथ तुम्हारा हरदम रूप उभर कर आया।।
Shastri ji, bahut badhiya bhav vyakt kiya aapne ..badhayi.sundar geet
बहुत सुन्दर सामयिक स्नेह की पाति है बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत खूब शास्त्री जी बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंबना रहे ये प्यार,किसी की नज़र ना लगे।
जवाब देंहटाएंwah ..........prem ki sundar abhivyakti hai.
जवाब देंहटाएंचश्मेबददूर..
जवाब देंहटाएंमस्त आपका लिखने का भाव काबिले तारीफ़ है
जवाब देंहटाएंजब तक सूरज-चाँद रहेंगे, प्यार करूँगा मन से।
जवाब देंहटाएंमोह कभी नही भंग करूँगा मैं अपने प्रियतम से।।
wah! bahut hi achcha.in panktiyon ne man moh liya.........
वाह पत्नी प्रेम झलक रहा है कविता में बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंचाँद में चाँदनी, चाँदनी में चाँद!
जवाब देंहटाएंप्रेम का अद्भुत सम्मिश्रण है!
अद्भुत!! चित्र ही सब कुछ कह गया!!
जवाब देंहटाएंबाहर की दौलत का क्या है, केवल आनी-जानी है।
जवाब देंहटाएंअन्तरतम की प्यारभरी दौलत जग ने मानी है।। ....prem ka behatareen path padhane ke liye dhanyabad....
वाह वाह क्या बात है शास्त्री जी ! इसे कहते हैं बेपन्हा मोहब्बत ! भाभी जी के लिए आपने एक अनमोल तोहफा पेश किया है ! इतना ख़ूबसूरत रचना और तस्वीर ने तो सब कुछ कह दिया! सबसे बेहतरीन रचना रहा आपका ये अब तक का और अत्यन्त सुंदर तस्वीर!
जवाब देंहटाएंडॉक्टर साह्ब नमस्कार । करवा चौथ के बाद से ही पत्नीवृता धर्म के पालन में इस तरह से जुटा रहा कि यहाँ आपसे सम्वाद करने नहीं आ सका । बहुत सुन्दर भाव हैं आपकी इस रचना में । और इस समपर्ण के लिये मै आपका कृतज्ञ हूँ ।
जवाब देंहटाएंपुनश्च: आपके और आदरणीया भाभीजी के चित्र को एकाकार करने का यह प्रयोग अच्छा लगा ..ऐसा ही सदा आप दोनो के जीवन मे हो यह कामना । मेरी बिटिया कोपल को इस ब्लॉग पर लगा यशोदा मैया और कान्हा का चित्र बहुत सुन्दर लगा । - भवदीय शरद कोकास
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