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शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2009
"कुछ गीत मचल जाते है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह वाह शास्त्री जी बहुत खूब लिखा है आपने! रचना का हर एक शब्द इतना सुंदर है की क्या बताऊँ ! इस रचना की जितनी भी तारीफ की जाए कम है! बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद इतनी श्रेष्ठ रचना पढने को मिली। जिन्दगी का सत्य यही है, उसका दर्शन यही है। बधाई। ऐसे ही लिखें और हमें प्रेरित करते रहें।
जवाब देंहटाएंwah!!!
जवाब देंहटाएंbahut dharapravah rachna..
happy blogging
उपवन में जब नये पुष्प अवतरित हुआ करते हैं,
जवाब देंहटाएंपल्लव और परिधानों के उपवीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।
बहुत सुन्दर और गूढ़ भाव शास्त्री जी !
वाह, मयंक जी आप तो ब्लॉगजगत के सबसे स्टार कवि है, यकीनन ..
जवाब देंहटाएंबदलना और मचलना जीवन की रीत है
जवाब देंहटाएंइनसे नव गीत रचना जीवन संगीत है
प्रीत बदले या बदले मीत पर जीत बदले
हालात कभी ऐसे बेकाबू नहीं नजराते हैं।
उपवन में जब नये पुष्प अवतरित हुआ करते हैं,
जवाब देंहटाएंपल्लव और परिधानों के उपवीत बदल जाते हैं।
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना बेहतरीन प्रस्तुति ।
मयंक जी बहुत सुन्दर व उम्दा रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंek shresth rachna likhne par meri aur se badhai sweekaar kare
जवाब देंहटाएंhttp/jyotishkishore.blogspot.com
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जवाब देंहटाएंसायद आपको यह प्रोग्राम अच्छा लगे!
बहुत बढ़िया सुन्दर रचना लगी आपकी यह
जवाब देंहटाएंShastri ji..behad sundar kavita likhi hai aapne sach me baar baar gunguna raha hoon bahut achchi lagi...dhanywaad
जवाब देंहटाएं" adbhut ...saral ta bhare alfaz se umda rachana banana koi aap se sikhe ...aapki is likhnee ko salam "
जवाब देंहटाएं" behad hi anmol rachana ke liye aapko badhai "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
बहुत सुंदर रचना शास्त्री जी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजब इतने खुबसूरत कारण है तो
जवाब देंहटाएंगीत तो मचलेंगे ही ...!!
waah waah...........bahut hi sundar prastutikaran ..........alag hi rang liye huye.
जवाब देंहटाएंरात अमावस में "मयंक" जब कारा में रहता है,
जवाब देंहटाएंकृष्ण-कन्हैया के माखन नवनीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।
लाजाव्ब गीत है मयंक जी आज फिर आपकी लेखनी को सलाम । इन दिनो कुछ तबीयत खराब ह्one ोए कई बार आपकी पोस्ट रह जाती है । कुछ दिन मे रेगुलर हो जाऊँगी स्धन्यवाद्
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जीवन का अवसान देख जब यौवन ढल जाता है,
जवाब देंहटाएंरंग-ढंग, आचरण, रीत और प्रीत बदल जाते हैं।।.... ख़ूबसूरत...बहुत सुन्दर...... """""
डॉ.इन्द्र देव माहर जी!
जवाब देंहटाएंआपको हिन्दी में टिप्पणी करते देखकर अच्छा लगा!
आशीर्वाद!
बहुत सुन्दर गीत मचला..वाह!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खुबसूरत गुनगुनाने लायक गीत ..
जवाब देंहटाएंसमय चक्र में घूम रहे जब मीत बदल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंउर अलिन्द में झूम रहे नवगीत मचल जाते है।।
saarthak rachna ke liye badhai!!