ऐसा कोई शख़्श नही है, आसमान से जो आया हो! ऐसा कोई नक्श नही है, जिसने मन नही भरमाया हो!! जो कुछ भी जिसने सीखा है, दुनिया ने ही सिखलाया है, सजना और सवँरना सबको, दर्पण ने ही बतलाया है, ऐसा कोई अक्स नही है, जिसने नूर नही पाया हो! ऐसा कोई नक्श नही है, जिसने मन नही भरमाया हो!! जिसमें ज्ञान भरा है सारा, जीवन एक पाठशाला है, मोती-माणिक से रत्नों से, गुंथी हई मञ्जुलमाला है, ऐसा कोई दक्ष नही है, हुनर साथ में जो लाया हो! ऐसा कोई नक्श नही है, जिसने मन नही भरमाया हो!! धरा पटल पर लिखी हुई हैं, कदम-कदम पर नई इबारत, चन्दा सूरज को छूती हैं. अजब-गजब हैं कई इमारत, ऐसा कोई कक्ष नही है, जिसने शिल्प न अपनाया हो! ऐसा कोई नक्श नही है, जिसने मन नही भरमाया हो!! प्यार प्रीत की फुलवारी अब, समरक्षेत्र बन गई धरा है, आपाधापी मची हुई है, कहीं राम रहमान मरा है, ऐसा कोई लक्ष्य नही है, जिसने तीर नही खाया हो! ऐसा कोई नक्श नही है, जिसने मन नही भरमाया हो!! |
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गुरुवार, 20 मई 2010
“जीवन एक पाठशाला है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक)
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वाह !
जवाब देंहटाएंवाह वाह !
पग-पग पर है नई इबारत,
अजब-गजब हैं कई इमारत,
ऐसा कोई कक्ष नही है,
जिसने शिल्प न अपनाया हो!
ऐसा कोई नक्श नही है,
जिसने मन नही भरमाया हो!!
जीवन एक पाठशाला है,
जवाब देंहटाएंगुंथी हई मञ्जुलमाला है,
ऐसा कोई दक्ष नही है,
हुनर साथ में जो लाया हो
बहुत सुन्दर गीत के माध्यम से सन्देश दिया है....खूबसूरत रचना के लिए बधाई
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअच्छी पर्स्तुती के लिए धन्यवाद जी
सच लिखा आपने ....दर्पण दिखला दिया आज तो :)
जवाब देंहटाएंजो कुछ भी जिसने सीखा है,
जवाब देंहटाएंदुनिया ने ही सिखलाया है,
सजना और सवँरना सबको,
दर्पण ने ही बतलाया है,
एकदम खरी बात शास्त्री जी
बहुत खूब !! नमन आपको ..........युही नित नयी धूम मचाते रहे !!
जवाब देंहटाएंजीवन एक पाठशाला है,
जवाब देंहटाएंगुंथी हई मञ्जुलमाला है,
ऐसा कोई दक्ष नही है,
हुनर साथ में जो लाया हो...
सही कहा ...हर दिन कुछ नया सीखते हैं जीवन की इस पाठशाला में ...!!
जो कुछ भी जिसने सीखा है,
जवाब देंहटाएंदुनिया ने ही सिखलाया है,
सजना और सवँरना सबको,
दर्पण ने ही बतलाया है,
वाकई जीवन ही सच्ची पाठशाला है ..बहुत उम्दा रचना है.
सुंदर भाव, सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं--------
क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।
बहुत ही सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंati sundar sir :)
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी । बहुत ज्ञानवर्धक रचना लिखी है । बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब प्रस्तुति, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut hi sundar sandesh deti prastuti............ati sundar.
जवाब देंहटाएंजीवन की पाठशाला का बहुत सही विवेचन किया है!
जवाब देंहटाएं--
बौराए हैं बाज फिरंगी!
हँसी का टुकड़ा छीनने को,
लेकिन फिर भी इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!
जीवन एक पाठशाला है,
जवाब देंहटाएंगुंथी हई मञ्जुलमाला है,..
बहुत सुंदर संदेश है आपकी रचना में ... बहुत कुछ संदेश देती हैं आपके रचनाएँ ...
सही कहा सर जी , सेक्सपियर ने जीवन को एक रंग मंच कहा था , नमन आपको
जवाब देंहटाएंअरे वाह... बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंsundar sandesh deti rachana ke liye badhaaI aur namaskar
जवाब देंहटाएंजीवन ही हमें सब कुछ सिखाती है और हम जो कुछ भी सीखते है यही दुनिया में आने के बाद ही सीखते है...शास्त्री जी इस बेहतरीन रचना के लिए दिल से बधाई आपकी लेखनी को प्रणाम करता हूँ..कितने सुंदर सुंदर रचना दिए है दुनिया को...
जवाब देंहटाएंbahut hee umdaa rachna hai ye aapki....
जवाब देंहटाएंcheers!
surender!
असली मीनाकुमारी की रचनाएं अवश्य बांचे
जवाब देंहटाएंफिल्म अभिनेत्री मीनाकुमारी बहुत अच्छा लिखती थी. कभी आपको वक्त लगे तो असली मीनाकुमारी की शायरी अवश्य बांचे. इधर इन दिनों जो कचरा परोसा जा रहा है उससे थोड़ी राहत मिलगी. मीनाकुमारी की शायरी नामक किताब को गुलजार ने संपादित किया है और इसके कई संस्करण निकल चुके हैं.