आमन्त्रण में बल हो तो , तस्वीर बदल जाती है। पत्थर भी भगवान बनें, तकदीर बदल जाती है।। अपने अधरों को सीं कर, इक मौन निमन्त्रण दे दो, नयनों की भाषा से ही- मुझको आमन्त्रण दे दो, भँवरे की बिन गुंजन ही- तदवीर बदल जाती है। आमन्त्रण में बल हो तो , तस्वीर बदल जाती है।। सरसों फूली, टेसू फूले, फूल रहा है, सरस सुमन, होली के रंग में भीगेंगे, आशाओं के तन और मन, आलिंगन के सागर में- ताबीर बदल जाती है। आमन्त्रण में बल हो तो, तस्वीर बदल जाती है।। पगचिन्हों का ले अवलम्बन, आगे बढ़ता जाता हूँ , मन के दर्पण में राही की, सूरत पढता जाता हूँ, पल-पल में परछांई की, तासीर बदल जाती है। आमन्त्रण में बल हो तो, तस्वीर बदल जाती है।। |
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शुक्रवार, 21 मई 2010
“परछाँई की तासीर बदल जाती है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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आपका और आपकी रचनाओं का जबाव नहीं..
जवाब देंहटाएंwaah sir bahut hi sundar...ekdam sach kaha..tasveer badal jaati hai...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्द रचना, बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंरोचक व दिलचस्प ...हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंआमन्त्रण में बल हो तो,
जवाब देंहटाएंतस्वीर बदल जाती है।।
वाकई आमंत्रण में बल हो तो क्या नहीं हो सकता है
बहुत सुन्दर रचना
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अपने अधरों को सीं कर,
जवाब देंहटाएंइक मौन निमन्त्रण दे दो,
नयनों की भाषा से ही-
मुझको आमन्त्रण दे दो,
भँवरे की बिन गुंजन ही-
तदवीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो ,
तस्वीर बदल जाती है।।
bahut hi sundar aur bhabhini rachna.
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंअपने अधरों को सीं कर,
जवाब देंहटाएंइक मौन निमन्त्रण दे दो,
नयनों की भाषा से ही-
मुझको आमन्त्रण दे दो,
भँवरे की बिन गुंजन ही-
तदवीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो ,
तस्वीर बदल जाती है।।
बेहतरीन प्रस्तुति !
मैंने यह गीत गाकर देखा!
जवाब देंहटाएं--
आनंद आ गया,
क्योंकि इसकी लय बहुत सुंदर बन रही है!
--
गरमी के मौसम में होली के रंगों की
सुखद याद दिलाकर इसने मन को सरसा दिया!
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना, बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और दिलचस्प रचना लिखा है आपने! बधाई!
जवाब देंहटाएंअपने अधरों को सीं कर,
जवाब देंहटाएंइक मौन निमन्त्रण दे दो,
नयनों की भाषा से ही-
मुझको आमन्त्रण दे दो,
वाह! क्या बात है!!!
बहुत सुंदर रचना।
बहुत प्यारी रचना!!
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना के लिए बधाइयाँ शास्त्री जी !!
जवाब देंहटाएंअपने अधरों को सीं कर,
जवाब देंहटाएंइक मौन निमन्त्रण दे दो,
नयनों की भाषा से ही-
मुझको आमन्त्रण दे दो,..
पूरी रचना बहुत सुन्दर ....एक एक पंक्ति में सौंदर्य समाया हुआ है...बहुत अच्छी लगी
mujhe achhi lagi aap ki rachna.. :)
जवाब देंहटाएंadbhut !
जवाब देंहटाएंanupam !
abhinav !
____________adwitiya !