पग ठहरता नहीं, आगमन के बिना।। देश-दुनिया की चिन्ता, किसी को नहीं, मन सुधरता नहीं, अंजुमन के बिना। मोह माया तो, दुनिया का दस्तूर है, सुख पसरता नहीं, संगमन के बिना। खोखली देह में, प्राण कैसे पले, बल निखरता नहीं, संयमन के बिना। क्या करेगा यहाँ, अब अकेला चना, दल उभरता नहीं, संगठन के बिना। “रूप” कैसे खिले, धूप कैसे मिले? रवि ठहरता नहीं है, गगन के बिना। |
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मंगलवार, 29 नवंबर 2011
"दल उभरता नहीं, संगठन के बिना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह …………बहुत ही खूबसूरत भावो को संजोया है।
जवाब देंहटाएंसंघे शक्ति कलियुगे
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंक्या करेगा यहाँ, अब अकेला चना,
जवाब देंहटाएंदल उभरता नहीं, संगठन के बिना।
क्या कहने, बहुत सुंदर।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखोखली देह में, प्राण कैसे पले,
जवाब देंहटाएंबल निखरता नहीं, संयमन के बिना।
Great lines...Awesome !
.
देश-दुनिया की चिन्ता, किसी को नहीं,
जवाब देंहटाएंमन सुधरता नहीं, अंजुमन के बिना।
मोह माया तो, दुनिया का दस्तूर है,
सुख पसरता नहीं, संगमन के बिना।
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! भावपूर्ण प्रस्तुती!
ati uttam prastuti..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachana hai...
“रूप” कैसे खिले, धूप कैसे मिले?
जवाब देंहटाएंरवि ठहरता नहीं है, गगन के बिना।
वाह!!!बहुत ही सुंदर गीत ....बहुत खूब लिखा है आपने समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
वाह बहुत ही खबसूरत..गुनगुनाने लायक रचना.
जवाब देंहटाएंवाह!!! बहुत बहुत बधाई ||
जवाब देंहटाएंप्रभावी कविता ||
सुन्दर प्रस्तुति ||
बढ़िया लिखा है .
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना ...
जवाब देंहटाएंबधाई ..!
खूबसूरत और सटीक ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली,सुंदर पोस्ट,..
जवाब देंहटाएंखोखली देह में, प्राण कैसे पले,
जवाब देंहटाएंबल निखरता नहीं, संयमन के बिना ।
और संयमन होना भी चाहिए जिन्दगी में हर जगह..!
acchhi seekh deti prastuti.
जवाब देंहटाएंbehtreen gazal....
जवाब देंहटाएंसुंदर...
जवाब देंहटाएंअसरदार।
बहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर और लय बद्ध प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंआप की टिप्पणियाँ भी शानदार होती हैं
भवपूर्ण रचना,सामायकिक हालातों को दर्शाती,
जवाब देंहटाएंसाथ ही आज की चर्चा के लिन्क्स भी सटीक हैं.
सादर धन्यवाद.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंuttam.....bahut khub
जवाब देंहटाएंखोखली देह में, प्राण कैसे पले,
जवाब देंहटाएंबल निखरता नहीं, संयमन के बिना।
....बहुत सार्थक और सुंदर प्रस्तुति...
बहुत ही सुंदर आज के हालत का सटीक चित्रण...
जवाब देंहटाएंलय पूर्ण गुनगुनाने काबिल बेहतरीन पोस्ट...
नए पोस्ट'प्रतिस्पर्धा'में इंतजार है,...
खोखली देह में, प्राण कैसे पले,
जवाब देंहटाएंबल निखरता नहीं, संयमन के बिना।
वाह !!!! अतिसुंदर भाव....
din guzarta nahee aapke lekhan ke bina
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