गुलदस्ता जैसा लगे, ब्लॉगिंग का संसार। टिप्पणियों से पोस्ट का, बढ़ जाता शृंगार।१। जल्दी-जल्दी बाँट दे, निज गठरी का ज्ञान। नहीं साथ में जाएगा, कंचन विमल-वितान।२। ज्वाला ठण्डी पड़ गई, राख हुए अंगार। साजन के ही साथ में, गये सभी सिंगार।३। पात पीत जब हो गये, हरे-भरे नहीं होय। इस असार संसार में, अमर हुआ नहीं कोय।४। जीत न पाये काल को, क्या ज्ञानी क्या सन्त। ग्रास मौत का बन गये, वैज्ञानिक-गुणवन्त।५। |
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बुधवार, 7 दिसंबर 2011
"कंचन विमल-वितान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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टिप्पणियाँ पोस्ट का शृंगार हैं, वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
फिर भी लोग हैं कि मानते नहीं
जवाब देंहटाएंटिप्पणियों से पोस्ट का, बढ़ जाता शृंगार...
टिप्पणी से भी किनारा कर लेते हैं। हाहाहहाहा
बहुत बढिया
टिप्पणियों से ही ब्लोगरों का लिखने का हौसला
जवाब देंहटाएंबढता है,...बहुत सुंदर पोस्ट,...
मेरे नए पोस्ट में आपका इंतजार है,....
पात पीत जब हो गये, हरे-भरे नहीं होय।
जवाब देंहटाएंइस असार संसार में, अमर हुआ नहीं कोय।४।
gahan abhivyakti ...
सुन्दर पोस्ट सर ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर सीख देती रचना दिल मे उतर गयी……………शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सीख देती रचना ...आज आपको एक नए ब्लॉग का लिंक दे रही हूँ कृपया वहाँ आकार अपने सुझाव ज़रूर प्रदान करें
जवाब देंहटाएंhttp://aapki-pasand.blogspot.com/2011/12/blog-post_07.html
aur rachnaon ki terh bahut sunder.............
जवाब देंहटाएंसोलह श्रंगार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पोस्ट !!
जवाब देंहटाएं"बढ़िया दोहे!"
जवाब देंहटाएंhar dohe mein jivan ke liye gahri soch hai...
जवाब देंहटाएंजल्दी-जल्दी बाँट दे, निज गठरी का ज्ञान।
नहीं साथ में जाएगा, कंचन विमल-वितान।२।
shubhkaamnaayen.
sundar prastuti...
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी नमस्ते, सर्वप्रथम आपका आभार कि आपने मेरी पोस्ट चर्चामंच पर शामिल कर मेरा होसला बढाया है |
जवाब देंहटाएंअब आपकी पोस्ट पर-आपने ब्लोगिंग संसार की तुलना गुलदस्ते से की है जो हकीकत है तरह-तरह के विचारों का आदान-प्रदान होना,सहजता से स्वयं को अभिव्यक्त करना,अन्य ब्लोगेर्स के साथ संवाद की तरह उनकी पोस्ट के विषय पर अपने विचारों को भी व्यक्त करना सब कुछ कितना आसन हो गया है |
bahut khoob .badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रविष्टि...बधाई
जवाब देंहटाएंatyant khoobsoorat post!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंसही कहा....
जवाब देंहटाएंटिप्पणियो से श्रृंगार तो बढता ही है..... हौसला भी बढता है।