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शस्त्री जी,..ठण्ड में बढ़िया अलाव जलाया...चित्रों के साथ सुंदर प्रस्तुति,....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्ती के लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
सुन्दर रचना सर...
जवाब देंहटाएंसादर...
इतनी सुंदर कविता किन्तु "सर्दी ने है हाथ जमाया" इसलिए ज्यादा कुछ लिख नहीं प रहा...
जवाब देंहटाएंआजकल आप मेरे ब्लॉग पर नहीं आ रहे, कुछ गुस्ताखी हो गयी है क्या? या वो बात नहीं रही मेरी लेखनी मे!!!
sundar chitra ke sath bahut hi sundar rachana hai...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति पर हमारी बधाई ||
जवाब देंहटाएंterahsatrah.blogspot.com
सुन्दर प्रस्तुति ........
जवाब देंहटाएंbehtreen prstuti....
जवाब देंहटाएंयह ठंड बड़ी बढ़ती जाती,
जवाब देंहटाएंअँधियारा बन चढ़ती जाती।
.चित्रों के साथ सुंदर प्रस्तुति,....
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर प्रस्तुति को देखकर टी वी पर आने वाले एक एड की याद आ गई ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लगा यह अंदाज़ भी ।
अहसास होने लगा है ठंड का.....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
बहुत खूब , ठण्ड का अहसास करा दिया आपने.
जवाब देंहटाएंbahut khoob babu ji.... aabhar
जवाब देंहटाएंsardi ki thitharan ka achcha chitran kiya hai alaav ke chitra bahut sundar hain.
जवाब देंहटाएंmeethi meethi thand ki meethi meethi post....
जवाब देंहटाएंदिसम्बर का चित्रमय कैलेंडर.बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-729:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सुन्दर चित्रों के साथ सर्दी पर शानदार रचना लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएं