जिससे अब तक नफरत की थी, वो ही रिश्तेदार हो गया। नवयुग के इस नये दौर में, वो अपना परिवार हो गया।। परसों ही तो उसको हमने, जली-कटी सी बात सुनाई। उसकी सुता हमारे घर में, आज वधू बनकर है आई। पूरे घर को इस बिटिया से, सबसे ज्यादा प्यार हो गया। नवयुग के इस नये दौर में, वो अपना परिवार हो गया।। कुदरत के हैं खेल निराले, खुशियाँ आई बैठे-ठाले! जो किस्मत में लिखा हुआ है, उसको कोई कैसे टाले! चिंगारी अंगार बनी जब, सिन्दूरी सिंगार हो गया। नवयुग के इस नये दौर में, वो अपना परिवार हो गया।। |
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मंगलवार, 20 दिसंबर 2011
"परिवार हो गया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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यही तो जीवन है.मानवीय रिश्ते बनते कितनी देर लगती है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर मेरे ब्लॉग की चर्चा की प्रकार होगी ,कृपया मुझे बताएं ..व आगे मैं इन चर्चाओं का अनुसरण किस प्रकार कर सकती हूँ ,मेरा मार्गदर्शन करें..आपके इ मेल पर मैंने ब्लॉग एड्रेस भेजा है..
आभार
ऋतू बंसल
इसी का नाम जिंदगी है.....
जवाब देंहटाएंWHOLE UNIVERSE IS A FAMILY BUT 'we need to control our impatience & be dicisive'.
जवाब देंहटाएंजिससे अब तक नफरत की थी,
जवाब देंहटाएंवो ही रिश्तेदार हो गया।
नवयुग के इस नये दौर में,
वो अपना परिवार हो गया।।
..aaj ke halaton mein kuch bhi ho sakta hai... bante bidagde haalaton ka jiwant chitran dekhne ko mila..aabhar!
संबंधों की संरचना का मूल ही है मेल-मिलाप।
जवाब देंहटाएंकुदरत के हैं खेल निराले,
जवाब देंहटाएंरिश्तो का सुन्दर अहसास...जो छूट नही सकता..
जवाब देंहटाएंकब नफ़रत प्यार मे बदल जाती है पता नही चलता यही है ज़िन्दगी…………बहुत सुन्दर उद्गार्।
जवाब देंहटाएंmeri ek rishtedari me bilkul esa hi hua hai yesa laga usi ke baare me padh rahi hoon.aajkal yesa hota hai
जवाब देंहटाएंbahut rochak kavita banaai hai aapne.
सबसे प्यार से बोलिये, न जाने कब कोई अपना हो जाये।
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi rachana hai,, isi par ek kahawat yad aa gayi...
जवाब देंहटाएं" dil mile na mile
hath milate chalo"
na jane kab kisase kam pad jaye ya usase koi rishta hi ban jaye...
बहुत अच्छी नसीहत देती कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुदर रचना
जवाब देंहटाएंसमाज की सच्चाई को आइना दिखाने के साथ ही रास्ता भी दिखाती है।
रिश्तेदारों से नफरत और मुहब्बत , शिकवे शिकायत ....कभी इन रिश्तों से प्रेम तो कभी घिन ...
जवाब देंहटाएंइसी का नाम जीवन है !
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
सुन्दर प्रस्तुती ! सटीक कहा है आपने!
जवाब देंहटाएंbehad khubsurat bhaav
जवाब देंहटाएंbeautiful
जवाब देंहटाएंDr. Sahab Bachcho ki Jindagi Kharab Mat Kijiye. MERE SAGE BHAI KI LADKI USKE MA BAAP KO WAPIS KAR DEEJIYE Inke saathiyo inhe samjhaiye. Inki Dharam Patni SMT. AMAR BHARTI
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.....शास्त्री जी
जवाब देंहटाएं