सुन्दर दोहे कह रहे, टिप्पणियों में मित्र।
अनुशंसा की रीत भी, होती बहुत विचित्र।१।
जो देखा वो लिख दिया, नहीं नव्य-सन्देश।
अज्ञानी कैसे करे, ज्ञानी को उपदेश।२।
जिनकी झोली में भरा, रत्नों का अम्बार।
किन्तु आज वो देखते, औरों का भण्डार।३।
अंकित पृष्ठों में करो, निज मन के उद्गार।
संचित कर रख लीजिए, ये अनुपम उपहार।४।
वन्दन माता का करो, पा जाओगे ज्ञान।
खुश होकर देंगी वही, प्रज्ञा का शुभदान।५।
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गुरुवार, 1 दिसंबर 2011
"निज मन के उद्गार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बड़े सटीक दोहे हैं, बिहारीलाल की तरह।
जवाब देंहटाएंअंकित पृष्ठों में करो, निज मन के उद्गार।
जवाब देंहटाएंसंचित कर रख लीजिए, ये अनुपम उपहार।
क्या बात है. सुन्दर दोहे.
निज मन के उद्गार बहुत सुन्दर हैं
जवाब देंहटाएंअंकित पृष्ठों में करो, निज मन के उद्गार...
जवाब देंहटाएंgreat expression !
.
सुंदर दोहे।
जवाब देंहटाएंsateek baat kahte hue sundar dohon se saji sundar prasuti ...
जवाब देंहटाएंवन्दन माता का करो, पा जाओगे ज्ञान।
जवाब देंहटाएंखुश होकर देंगी वही, प्रज्ञा का शुभदान।५।
umda dohe sir ,
वन्दन माता का करो, पा जाओगे ज्ञान।
जवाब देंहटाएंखुश होकर देंगी वही, प्रज्ञा का शुभदान...
माँ हम पर कृपा करें !
आभार !
hindi shabdaavali ka khoobsurat upyog
जवाब देंहटाएंनिज मन के उद्धार .......कव्य भी सुन्दर ,अनुशीलन भी ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभाव्शील दोहे ,,,,/
सुन्दर दोहे कह रहे, टिप्पणियों में मित्र।
जवाब देंहटाएंअनुशंसा की रीत भी, होती बहुत विचित्र।१।
जो देखा वो लिख दिया, नहीं नव्य-सन्देश।
अज्ञानी कैसे करे, ज्ञानी को उपदेश।२।
अंकित पृष्ठों में करो, निज मन के उद्गार।
संचित कर रख लीजिए, ये अनुपम उपहार।४।
saty likhaa hai aapne ,tippnee karne bhar ke liye tippnee karnaa
likhne waale ke liye anyaay hai
saarthak tippniyon kaa akaal hai.
ek doosre kee peeth khujaane kee hod chal rahee hai
टिप्पणियाँ
जवाब देंहटाएंतुम मेरे लिए
कुछ कहो
मैं तुम्हारे लिए
कुछ कहूं
अर्थ हो ना हो
मैं भी खुश
तुम भी खुश
वन्दन माता का करो, पा जाओगे ज्ञान।
जवाब देंहटाएंखुश होकर देंगी वही, प्रज्ञा का शुभदान।५।
sunder dohe ..
सही रंग भरा आपने टिपण्णी व्यंग्य कविता में !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर दोहे बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबधाई....
शास्त्री जी,नमस्कार ...!
जवाब देंहटाएंअज्ञानी कैसे करे, ज्ञानी को उपदेश.....!
रोज़ कुछ, नया सीखता हूँ !आप से |
.
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी
प्रणाम !
बहुत सुंदर दोहे लिखे हैं आपने …
आप छंद - महारथी ब्लॉगर हैं …
सारा रहस्य बता दिया आपने श्रेष्ठ सृजन का …
वन्दन माता का करो, पा जाओगे ज्ञान।
खुश होकर देंगी वही, प्रज्ञा का शुभदान।
वाह ! वाऽऽह !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
जवाब देंहटाएं१०:१४ अपराह्न (17 घंटे पहले)
Rajendra
आपकी टिप्पणी मेरे मेल बाक्स में तो आई है मगर ब्लॉग पर नहीं दिखाई दे रही है। क्या कारण रहा होगा?
--
Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने आपकी पोस्ट " "निज मन के उद्गार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "म... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
आदरणीय शास्त्री जी
प्रणाम !
बहुत सुंदर दोहे लिखे हैं आपने …
आप छंद - महारथी ब्लॉगर हैं …
सारा रहस्य बता दिया आपने श्रेष्ठ सृजन का …
वन्दन माता का करो, पा जाओगे ज्ञान।
खुश होकर देंगी वही, प्रज्ञा का शुभदान।
वाह ! वाऽऽह !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अभी गूगल की बहुत प्रकार की समस्याएं ब्लॉग्स पर आ रही हैं … पता नहीं क्या बात है …
जवाब देंहटाएंआपके यहां मैंने लिखा था -
आदरणीय शास्त्री जी
प्रणाम !
बहुत सुंदर दोहे लिखे हैं आपने …
आप छंद - महारथी ब्लॉगर हैं …
सारा रहस्य बता दिया आपने श्रेष्ठ सृजन का …
वन्दन माता का करो, पा जाओगे ज्ञान।
खुश होकर देंगी वही, प्रज्ञा का शुभदान।
वाह ! वाऽऽह !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कहीं फिर गायब न हो जाए :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दोहे! बढ़िया लगा!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!चर्चा मंच में शामिल होकर चर्चा को समृध्द बनाएं....
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश देते दोहों में अच्छी चुटकी है सर....
जवाब देंहटाएंसादर आभार...
sundar dohe...
जवाब देंहटाएंbahut kuch bolte dohe.rochak,umda dohe.
जवाब देंहटाएंATI SUNDAR
जवाब देंहटाएंअंकित पृष्ठों में करो, निज मन के उद्गार।
जवाब देंहटाएंसंचित कर रख लीजिए, ये अनुपम उपहार...
बहुत अच्छी सीख दी है आपने...सभी दोहे लाजवाब हैं, आनन्द आ गया! इन्हें साझा करने के लिए कृपया हमारा धन्यवाद स्वीकारें!
सादर,
सारिका मुकेश