मुझको पाठ पढ़ाने वाले, मन को मत इतना भरमाओ। रीती गागर में, धीरे-धीरे भरते जाओ।। ठाठ-बाट में, तुम रहते हो, बारिश धूप नहीं सहते हो, लेकिन हम ठहरे सैलानी, करते रहते हैं नादानी, बंजारों की इस दुनिया से, सोच-समझकर हाथ मिलाओ। रूखा-सूखा हम खाते हैं, मंजिल पर चलते जाते हैं, गन्धहीन अपना उपवन है, दिशाहीन जीवन-दर्शन है, कंकड़-पत्थर वाले पथ पर, मत अपने तुम कदम बढ़ाओ। साँझ हुई, कर लिया बसेरा, सुबह हुई तो, उखड़ा डेरा, रोज नया है ठौर-ठिकाना, नई जगह पर रोना-गाना, दुनियादारी की झंझा में, मत अपने को तुम उलझाओ। |
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शनिवार, 10 दिसंबर 2011
"मन को मत इतना भरमाओ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत अच्छा और सटीक.
जवाब देंहटाएंjindagi ka falsafa hi utaar diya is rachna me.
जवाब देंहटाएंBahut sundar !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंसाँझ हुई, कर लिया बसेरा,
जवाब देंहटाएंसुबह हुई तो, उखड़ा डेरा,
रोज नया है ठौर-ठिकाना,
नई जगह पर रोना-गाना,
दुनियादारी की झंझा में,
मत अपने को तुम उलझाओ।………………यही तो जीवन सत्य है………सुन्दर भावाव्यक्ति।
बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंजीवन का कटु सत्य है........
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सटीक भावाव्यक्ति। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गीत!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंकविता का तो जवाब नहीं, तस्वीर भी कमाल की लगाई है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंदुनियादारी, उतनी जितनी है आवश्यक।
जवाब देंहटाएंwahh..
जवाब देंहटाएंlajavab rachana hai sir...
क्या निराले ठाट /अंदाज हैं जी ",दिशाहीन जीवन -दर्शन है "किसी ने कहा है - मत पूछो साधू की जात ..../ सच है पानी का रंग- हीन होना ही उसकी सार्थकता है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...चित्र भी सुन्दर|
जवाब देंहटाएंबढ़िया चित्र सुंदर है रचना,
जवाब देंहटाएंइस कविता का क्या कहना
मेरे नई पोस्ट..आज चली कुछ ऐसी बातें, बातों पर हो जाएँ बातें
ममता मयी हैं माँ की बातें, शिक्षा देती गुरु की बातें
अच्छी और बुरी कुछ बातें, है गंभीर बहुत सी बातें
कभी कभी भरमाती बातें, है इतिहास बनाती बातें
युगों युगों तक चलती बातें, कुछ होतीं हैं ऎसी बातें
में आपका इंतजार है,...
sundar..
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं लगता कि कवि अपने मंतव्य को लेकर सजग है. एक ओर वह रीती गागर भरने का आग्रह करता है, दूसरी ओर ऐसा करने वाले पर भरमाने का आरोप भी लगाता है. दिशाहीनता का बोध परंतु दूसरों से कुछ न सीखने की जिद, आवारापन और हठ के सिवाय क्या है. पूरी कविता बिखरी हुई है, ऐसी तुकबंदी जो पढ़ने में आनंद देती है.
जवाब देंहटाएंक्या बात है....
जवाब देंहटाएंगजब का जीवन दर्शन।
ऐसा कर लें तो फिर चिंताएं गायब, उलझनें नदारद।
अलमस्त जिंदगी का खूबसूरत फसाना.बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंआदरणीय कवि नीरज की कविता याद आ गई:
हम तो मस्त फकीर हमारा कोई नहीं ठिकाना रे
जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे....
bahut sundar sateek likha hai.chitra bhi bahut achcha hai.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बात कही आपने....
जवाब देंहटाएंसुंदर ...
जवाब देंहटाएंuljhanein to hameshaa hee insaan ko ghere rehtee hain!!
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