अल्लाह निगह-ए-बान है, वो है बड़ा करीम। जाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम।। बख्शी है हर बशर को, उसने इल्म की दौलत, इन्सां को सँवारा है, दे शऊर की नेमत, क्यों भाई को, भाई से जुदा कर रहा फईम। जाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम।। कर नेक दिल से, रब की इबादत अरे बन्दे, सच्चाई पे चल, दफ्न कर, काले सभी धन्धे, बन जा जमीं का आदमी और छोड़ दे नईम। जाति, धरम से बाँध मत,मौला को ऐ शमीम।। शैतानियत की राह से, नाता तू तोड़ ले, हुब्बे वतन की राह से, नाता तू जोड़ ले, मिल सबसे तू खुलूस से, कह राम और रहीम। जाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम।। आबाद मत फरेब कर, नाहक न हो बदनाम, इन्सानियत की राह में, मजहब का नही काम, सबके दिलों बैठ जा, बन करके तू नदीम। जाति, धरम से बाँध मत,मौला को ऐ शमीम।। |
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रविवार, 11 मार्च 2012
"जाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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धर्म और जाति के नाम पर आ भी बंटवारा होता हैं ...आज का ज्वलंत मुद्दा हैं आपकी आज की कविता में ....
जवाब देंहटाएंयह बातें लोग कहां समझते हैं
जवाब देंहटाएंमिल सबसे तू खुलूस से, कह राम और रहीम।
जवाब देंहटाएंजाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम।।
कर नेक दिल से, रब की इबादत अरे बन्दे,
सच्चाई पे चल, दफ्न कर, काले सभी धन्धे,
NEK DILI KA SANDESH DETI PYARI RACHNA.PAR KASH ENSAN ESE SAMAJH SAKTA
गाफिल जी हैं व्यस्त, चलो चलें चर्चा करें,
जवाब देंहटाएंशुरू रात की गश्त, हस्त लगें शम-दस्यु कुछ ।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
सोमवारीय चर्चा-मंच पर है |
मिल सबसे तू खुलूस से, कह राम और रहीम।
जवाब देंहटाएंजाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम।।
नेक फरियाद ....उत्तम विचार ...
सुन्दर विचार..!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार......
जवाब देंहटाएंसार्थक सोच..
सादर.
आबाद मत फरेब कर, नाहक न हो बदनाम,
जवाब देंहटाएंइन्सानियत की राह में, मजहब का नही काम,
सबके दिलों बैठ जा, बन करके तू नदीम।
जाति, धरम से बाँध मत,मौला को ऐ शमीम।।
बहुत सुंदर रचना, बेहतरीन प्रस्तुति.......
अत्युत्तम भाव पूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंआबाद मत फरेब कर, नाहक न हो बदनाम,
इन्सानियत की राह में, मजहब का नही काम,
सबके दिलों बैठ जा, बन करके तू नदीम।
जाति, धरम से बाँध मत,मौला को ऐ शमीम।।
शुभ कामनाएं !!!
कर नेक दिल से, रब की इबादत अरे बन्दे,
जवाब देंहटाएंसच्चाई पे चल, दफ्न कर, काले सभी धन्धे,
बन जा जमीं का आदमी और छोड़ दे नईम।
जाति, धरम से बाँध मत,मौला को ऐ शमीम।।
भाई साहब फिर वोट तंत्र कैसे चलेगा ?कौम को कौमियत को बांटना इसीलिए तो ज़रूरी है .सेकुलर वोट का क्या होगा फिर जिसकी नींव इसी बन्तारे पे खड़ी है ..
मत एक करो कौम को चलने दो वोट तंत्र, ......
जवाब देंहटाएंhum sab allah ke bande hain!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
उत्तम प्रस्तुति सर...
जवाब देंहटाएंसादर