पत्थरों को गीत गाना आ गया है। लक्ष्य था मुश्किल, पहुँच से दूर था, साधना हमको निशाना आ गया है। मन-सुमन वीरान उपवन थे पड़े, पंछियों को चहचहाना आ गया है। हाथ लेकर हाथ में जब चल पड़े, साथ उनको भी निभाना आ गया है। ज़िन्दग़ी के जख़्म सारे भर गये, प्यार करने का जमाना आ गया है। जब चटककर “रूप” कलियों ने निखारा, साज गुलशन को बजाना आ गया है। |
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शनिवार, 31 मार्च 2012
"प्यार करने का जमाना आ गया है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ज़िन्दग़ी के जख़्म सारे भर गये,
जवाब देंहटाएंप्यार करने का जमाना आ गया है।
.......इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें.
wakai pyar karne ka jamaan aa gya hai
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह वाह..भारतीय नागरिक-indzen.blogspot.com
जवाब देंहटाएंवाह क्या कहने शास्त्री जी। :)
जवाब देंहटाएंमन-सुमन वीरान उपवन थे पड़े,
पंछियों को चहचहाना आ गया है। क्या खूब।
बढ़िया विषय ।
जवाब देंहटाएंबधाई आपको ।।
जब चटककर “रूप” कलियों ने निखारा,
जवाब देंहटाएंसाज गुलशन को बजाना आ गया है।
वाह ..शास्त्री जी ...बहुत सुंदर शब्दों का प्रयोग ...सुंदर भाव ...सुंदर रचना ..!!
गुरु जी
जवाब देंहटाएंरविकर ही है इधर
टिप्पणी को
अनर्गल की कोटि में न रख देना ।
पत्थरों पर का भरोसा, परका रहा यह दिल ।
धकधकाधक है धड़कता, लक्ष्य था मुश्किल ।
पक्षियों को डर लगे ना, आज पत्थर तीर से
जिंदगी में हो रहे जो, आप अब शामिल ।।
वाह ...बहुत खूब ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शास्त्री जी....
जवाब देंहटाएंहाथ लेकर हाथ में जब चल पड़े,
साथ उनको भी निभाना आ गया है।
अति सुन्दर
सादर
अब माहौल को बनाना आ गया है।
जवाब देंहटाएंज़िन्दग़ी के जख़्म सारे भर गये,प्यार करने का जमाना आ गया है!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना!
देख मैं भी रहा था उसी जमाने को कभी से
जवाब देंहटाएंचलिये आप ने बताया वो वहाँ आ गया है।
बधाई!!!
बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंज़िन्दग़ी के जख़्म सारे भर गये,
जवाब देंहटाएंप्यार करने का जमाना आ गया है।
बहुत सुंदर प्रस्तुति .....
हसरतें छूने लगी आकाश को,
जवाब देंहटाएंपत्थरों को गीत गाना आ गया है।
लक्ष्य था मुश्किल, पहुँच से दूर था,
साधना हमको निशाना आ गया है।
बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
सच में
जवाब देंहटाएंज़िन्दग़ी के जख़्म सारे भर गये,
जवाब देंहटाएंप्यार करने का जमाना आ गया है।....बहुत सुन्दर...
हम तो सोचते रहे कि प्यार से ही ज़ख्म भरते हैं। पर आप कह रहे हैं कि ज़ख्म भर गए,चलो इसलिए प्यार किया जाए!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ,बधाई स्वीकारें !
हाथ लेकर हाथ में जब चल पड़े,
जवाब देंहटाएंसाथ उनको भी निभाना आ गया है।
ज़िन्दग़ी के जख़्म सारे भर गये,
प्यार करने का जमाना आ गया है।
बहुत ही उत्तम भाव हैं इस कविता के।
हसरतें छूने लगी आकाश को,
जवाब देंहटाएंपत्थरों को गीत गाना आ गया है।
लक्ष्य था मुश्किल, पहुँच से दूर था,
साधना हमको निशाना आ गया है।
हसरतें छूने लगी आकाश को,
पत्थरों को गीत गाना आ गया है।
लक्ष्य था मुश्किल, पहुँच से दूर था,
साधना हमको निशाना आ गया है।
गीत या ग़ज़ल जो भी है यह सांगीतिक है .भाव और अर्थ -छटा से लबालब है .बड़ा रोमांटिक गीत -नुमा ग़ज़ल मिक्स है यह .
लो वही आशिक पुराना आ गया ,
फिर हमें हंसना हंसाना आगया ,
गीत फिर से गुनगुनाना आगया है ,
मस्त सावन का महीना आगया है .
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बहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएंप्यारभरी रचना:-)
लक्ष्य था मुश्किल, पहुँच से दूर था,
जवाब देंहटाएंसाधना हमको निशाना आ गया है....
बहुत ही खूबसूरत रचना