न्यायालय में सभी को, शीघ्र सुलभ हो न्याय।
मिट जायेगा वतन से, जल्दी ही अन्याय।१। सारी दुनिया जानती, नारी नर की खान। लेकिन फिर भी हो रहा, नारी का अपमान।२। दुराचारियों को मिले, फाँसी जैसा दण्ड। कैसे फिर ठहरे यहाँ, कोई भी उद्दण्ड।३। प्रजातन्त्र में सभी को, कहने का अधिकार। सत्याग्रह में हो रहा, फिर क्यों डण्ड प्रहार।४। कुहरा छाया गगन में, देता है सन्देश।
गुस्से पर काबू करो, बने शान्त परिवेश।५।
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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012
"सामयिक दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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duracharion ko gambhir saja milni hi chahiye ;gambhir bhavo se aacchadit behatareen prastuti दुराचारियों को मिले, फाँसी जैसा दण्ड।
जवाब देंहटाएंकैसे फिर ठहरे यहाँ, कोई भी उद्दण्ड।३।
प्रजातन्त्र में सभी को, कहने का अधिकार।
सत्याग्रह में हो रहा, फिर क्यों डण्ड प्रहार।४।
बेहतर लेखन,
जवाब देंहटाएंजारी रहिये,
बधाई !!
पूरी सदाशयता से आपने लिखी है यह दोहावली जिसमें फटकार भी है शान्ति का आवाहन भी जो भी लिखा है सटीक लिखा है .दोष चोर का नहीं चोर की माँ का है जो संसद में बैठी है जिनके
जवाब देंहटाएंअराजपाट ने आज यह स्थिति पैदा कर दी .पुलिस को जिसने कथित वी आई पी
सुरक्षा में 15-20
%खपाया हुआ है .गृह मंत्री जी युवा भीड़ को नक्सली /माओवादी कहतें हैं .साथ ही सोनिया का आन्दोलनकारियों से मिलना उन्हें बड़ा दिव्य लगता है जैसे सोनिया अवतरण इस शती की अप्रतिम
घटना है .
हम भी आशंकित है आन्दोलन में सूराख करने वालों से जिनमें कांग्रेसी ही सबसे आगे हैं .कल तक जो देश के सर्वोच्च शक्ति पीठ सेना के प्रमुख थे आज उन्हें हिंसा भड़काऊ बतलाकर उनपर
मुकदमा चलाया जा रहा है .स्वामी राम देव को भी हिंसा भड़काने के लिए निशाने पे लिया गया है .
पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार निर्दोषों पर हुई ज्यादती को कोलेटरल डेमेज बतला रहें हैं .इस भले आदमी को यह नहीं मालूम अंग्रेजी भाषा कन्वेंशन से चलती है Collateral damage शब्द रूढ़ हो
चुका है सैन्य हमले में
हुई नागरिकों की जान माल की नुकसानी के लिए भू कंप बाद की क्षति के लिए .यह कोलेटरल डेमेज नहीं था सत्ता -शक्ति प्रदर्शन था .
और ज़नाब यह गृह मंत्री भी आरक्षित कोटे का है .
निर्भय को बचाया नहीं जा सकेगा यह आप भी जानतें हैं उसे उसकी जिजीविषा ने ही जीवित रखा हुआ है कहीं इंटेसटिनल इम्प्लांट मिल जाए तो और बात है .चार सर्जरी हो चुकी हैं इस नन्नी सी
जान की .निर्भय प्रतीक है इस लड़ाई का ,अपराध तत्वों की हार का . आज पूरे देश की धड़कन और दुआ उसके लिए है .होई है वही जो राम रची राखा ...
आवाहन भी चेतावनी भी सत्ता कुम्भ कर्णों को .कुछ न कुछ ज़रूर होगा 2014 में कांग्रेस को लोक सभा में तीन अंक नसीब न होंगें (100 से नीचे रहेंगी सीटें इन चिरकुटों की जिन्हें सोनिया की जय
बोलने के अलावा कुछ नहीं आता ).
सामयिक दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
न्यायालय में सभी को, शीघ्र सुलभ हो न्याय।
मिट जायेगा वतन से, जल्दी ही अन्याय।१।
सारी दुनिया जानती, नारी नर की खान।
लेकिन फिर भी हो रहा, नारी का अपमान।२।
दुराचारियों को मिले, फाँसी जैसा दण्ड।
कैसे फिर ठहरे यहाँ, कोई भी उद्दण्ड।३।
प्रजातन्त्र में सभी को, कहने का अधिकार।
सत्याग्रह में हो रहा, फिर क्यों डण्ड प्रहार।४।
कुहरा छाया गगन में, देता है सन्देश।
गुस्से पर काबू करो, बने शान्त परिवेश।५।
Posted by डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) at 4:50 pm 2 टिप्पणियां:
सत्ता मद में चूर कांग्रेस चाटेगी अब धूल ,तमाशा देखियो भैया ...
आज के वक्त और हालात पर सटीक दोहे ....
जवाब देंहटाएंवक्त कि नजाकत पर फिट बैठते है ये दोहे !!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक सामयिक दोहे :
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट; जागो कुम्भोकर्नो ,http://kpk-vichar.blogspot.in
Bahut Sateek Dohe hain shashtri ji
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
बहुत ख़ूब वाह!
जवाब देंहटाएंआप शायद इसे पसन्द करें-
ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!
प्रजातन्त्र में सभी को, कहने का अधिकार
सत्याग्रह में हो रहा, फिर क्यों डण्ड प्रहार
अफ़सोस !
जिनका जवाबदेही का फ़र्ज़ बनता है , छुपे पड़े रहते हैं !
आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी
आप राजनीति में सफल हो जाएं तब ऐसे ज़ालिम शासनतंत्र में अवश्य सुधार कीजिएगा ...
अच्छे छंद हैं ...
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
सार्थक समसामयिक लेखन |
जवाब देंहटाएंआशा
शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का ,प्रासंगिक व्यंजना लिए दोहावली का .
जवाब देंहटाएंsahi likhe hain......
जवाब देंहटाएंआज के हालात पर सटीक दोहे
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया जानती, नारी नर की खान।
जवाब देंहटाएंलेकिन फिर भी हो रहा, नारी का अपमान ..
सच्चे, सटीक ओर करारे दोने हैं सभी .... सोचने को मजबूर करते हैं ...
कभी कुहरा भी छटेगा..
जवाब देंहटाएंबड़े प्यार से परसे भैया,'दोहों के मोती' |
जवाब देंहटाएंगगे 'भावना'करवट बदल के,जो मन में सोती ||
बड़े प्यार से परसे भैया,'दोहों के मोती' |
जवाब देंहटाएंगगे 'भावना'करवट बदल के,जो मन में सोती ||