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हौसलों को परवाज़ दो
जवाब देंहटाएंजीवन को आधार दो
चाहे लहरें कितनी शोर मचायें
चाहे नौका हो कितनी बेज़ार
तभी उतरोगे भव से पार
छेद नाव में जर्जर-नौका, कभी नहीं नाविक घबराये ।
जवाब देंहटाएंजल-जीवन में गहरे गोते, सदा सफलता सहित लगाये ।
इतना लम्बा जीवन-अनुभव, नाव किनारे पर आएगी -
पतवारों पर हमें भरोसा, सागर सगरा पार कराये ।।
सुन्दर बात
जवाब देंहटाएंचलते रहिये, पार मिलेगा,
जवाब देंहटाएंइस श्रम का उपहार मिलेगा।
अनुभव की पूँजी से बढ़कर नहीं कोई पतवार
जवाब देंहटाएंअपने ऊपर करे भरोसा सच्चा खेवनहार
भगवान बढ़ाये हाथ उसे जो अडिग रहे मझधार
बताए कैसे उतरें पार
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 03-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
जैसे फोटोशॉप से नाव पर सवार हुए हैं वैसे ही फोटोशॉप पार भी लगा देगा जी। :)
जवाब देंहटाएंजो नहीं हारते हौसला, वही कर पाते है भवसागर पार |
जवाब देंहटाएंसबसे बढ़िया व वाल्ट जैसी सिक्यूरिटी गूगल का भरोसा
अब तो लग गई देख किनारे
जवाब देंहटाएंबंधु बांधव भी हैं कितने सारे
लहरों की अब चिन्ता किसको
पार उतारेंगे मुझको अब सारे।
ऊपर वाला सबका खेवनहार !
जवाब देंहटाएंचलते रहिये ...रुक गये तो सब कुछ ख़त्म ...पार अपने आप हो जायेंगे हम गर हौसला रखेंगे हम
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
आप ऐसे हिम्मत हारने वालों में से नहीं हैं सर !:)
जवाब देंहटाएंएक शेर याद आ गया.. शायर का नाम याद नहीं :( ~
"रख हौसला बुलंद कि वो मंज़र भी आयेगा...
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..."
~सादर !!!
लिए पुरानी अपनी नौका, टूटी सी पतवार,
जवाब देंहटाएंबताओ कैसे उतरें पार?
देख रवानी लहरों की, हमने मानी है हार,
बताओ कैसे उतरें पार?
लहरों के हवाले छोड़ दो नौका .हाँ प्रमाद नहीं दृष्टा भाव से देखो सब -तुलसी भरोसे राम के ,रह्यो खाट पे सोय ,अनहोनी ,होनी नहीं ,होनी होय सो होय .
तैरना सीख कर ही नाव मे बैठने मु बुद्धिमानी है बाकी तो ऊपरवाले का ही सहरा है
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंअपनी कविता की चार पंक्तियाँ लिख रही हूँ ...
डगमगाया है तूफाँ ने जितना
उतना ही तू दमदार कहीं
चिड़ियाँ चहचहाती हैं तो जरुर
सुबह किनारे की है तरफदार कहीं