मोती होता आँख का, सबके लिए अमोल।
उसके लिए बहाइए, जिसके सच्चे बोल।१।
मत रोना उसके लिए, जो करता किल्लोल।
आँसू हैं उसके लिए, जो दिल को दे खोल।२।
रखना बहुत सँभाल के, ये मोती अनमोल।
सारे जग के सामने, यही खोलता पोल।३।
आँसू रहता आँख में, चेहरे पर मुस्कान।
एक दिखाता दर्द को, दूजा हरे थकान।४।
दुःख और अनुराग की, होती कथा विचित्र।
लेकिन हैं हर हाल में , ये दोनों ही मित्र।५।
सागर से कम है नहीं, आँसू का अस्तित्व। आँसू का संसार में, होता है वर्चस्व।६। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 1 मार्च 2013
"आँसू-कुछ दोहे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
सुंदर, सार्थक दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अर्थपूर्ण दोहे...
जवाब देंहटाएंRECENT POST: पिता.
bahut badhiya...
जवाब देंहटाएंआंसू पर धारदार प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंमुस्कान आ गई -
आभार गुरुदेव ||
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (2-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
आदरणीय गुरू जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दोहे!
एक प्रश्न जरूर पूछना चाहूंगा कि क्या दोहे में मात्रा की छूट मान्य है। कुछ लोग इस पर आपत्ति करते हैं। मुझे मार्गदर्शन दें।
सादर!
बहुत सुंदर दोहे!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
बृजेश सिंह जी!
जवाब देंहटाएंदोहे में मात्र की छूट मान्य नहीं है।
--
दोहा, मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके
विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों
(द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि
में जगण ( । ऽ । ) नहीं होना चाहिए। सम चरणों के अंत में एक गुरु
और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु
होता है।
प्रभावशाली रचना सदैव की भांति ....मंगल कमाना सर !
जवाब देंहटाएंAansuon ke shabdo ko bhasha ,bhav avm arth deti damdar prastuti
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसभी दोहे एक से बढकर एक
जवाब देंहटाएंरखना बहुत सँभाल के, ये मोती अनमोल।
सारे जग के सामने, यही खोलता पोल।३।
बहुत सुंदर
आदरणीय शास्त्री जी बहुत सुंदर संदेश परक दोहे सभी एक से बढ़कर एक हैं
जवाब देंहटाएंआँसू रहता आँख में, चेहरे पर मुस्कान।
एक दिखाता दर्द को, दूजा हरे थकान।४।
ये दोहा तो बहुत ही अधिक पसंद आया हार्दिक बधाई आपको
बहुत नायब होते हैं, अश्कों के ये मोती
जवाब देंहटाएंयूँही इस दौलत को लुटाया नाही करते .... बहुत सुन्दर रचना शास्त्री जी!
अति उत्तम गुरु जी आँसू दोहे
जवाब देंहटाएंअश्रु बहे तो विश्व सहे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं