♥ दोहा सप्तक ♥
सबके लिए बसन्त का, मौसम है अनुकूल।
फागुन में मन मोहते, ये पलाश के फूल।१।
अंगारा सेमल हुआ, वन में खिला पलाश।
मन के उपवन में उठी, भीनी मन्द-सुवास।२।
सरसों
फूली खेत में, पीताम्बर को धार।
देख
अनोखे रूप को, भ्रमर करे गुंजार।३।
कुदरत ने पहना दिये, नवपल्लव परिधान।
भक्त मन्दिरों में करें, हर-हर, बम-बम गान।४।
खुश हो बेरी दे रही, बेरों का उपहार।
इन बेरों में है छिपा, राम लखन का प्यार।५।
गेंहूँ
लहराने लगे, बाली पाकर आज।
मस्ती
और तरंग में, डूबा सकल समाज।६।
मौसम में उन्माद की, छाई हुई उमंग।
लोगों पर चढ़ने लगा, अब होली का रंग।७।
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सोमवार, 4 मार्च 2013
"दोहे-पलाश के फूल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अति सुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दोहावली |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
prakriti aur sanskriti ki lybaddh aur sundar prastuti
जवाब देंहटाएंहोली के पहले ही प्रकृति का चोला रंगने लगा है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर दोहे,चित्रों से प्रस्तुति की सुंदरता में चार चाँद लग गया है,सादर नमन.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदिनांक 06/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बेर के फल देखे बिना सालों हो गये थे... धन्यवाद चित्र और दोहों के लिये.
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे मान्यवर ...
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों से सजी ,बासंती फाल्गुनी दोहों कि फुहार ,गुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंसुंदर सजे दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत सु्न्दर दोहे
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे...
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहावली...
जवाब देंहटाएंप्रकृति का मनमोहक वर्णन
वाह ...वसंत और फागुन दोनों की खुशियाँ बिखेरते दोहे ...मजा आ गया
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग पर आने का निमंत्रण दे रही हूँ ....आप आयेगीं तो मुझे ख़ुशी होगी
http://shikhagupta83.blogspot.in/2013/03/blog-post_4.html
बसंत का सुंदर सचित्र वर्णनं
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ,सुंदर दोहावली
साभार..........