मधुमेह हुआ जबसे हमको,
मीठे से हम कतराते हैं।
गुझिया-बरफी के चित्र देख,
अपने मन को बहलाते हैं।।
आलू, चावल और रसगुल्ले,
खाने को मन ललचाता है,
हम जीभ फिराकर होठों पर,
आँखों को स्वाद चखाते हैं।
गुझिया-बरफी के चित्र देख,
अपने मन को बहलाते हैं।।
गुड़ की डेली मुख में रखकर,
हम रोज रात को सोते थे,
बीते जीवन के वो लम्हें,
बचपन की याद दिलाते हैं।
गुझिया-बरफी के चित्र देख,
अपने मन को बहलाते हैं।।
हर सामग्री का जीवन में,
कोटा निर्धारित होता है,
उपभोग किया ज्यादा खाकर,
अब जीवन भर पछताते हैं।
गुझिया-बरफी के चित्र देख,
अपने मन को बहलाते हैं।।
थोड़ा-थोड़ा खाते रहते तो,
जीवन भर खा सकते थे,
पेड़ा और बालूशाही को,
हम देख-देख ललचाते हैं।
गुझिया-बरफी के चित्र देख,
अपने मन को बहलाते हैं।।
हमने खाया मन-तन भरके,
अब शिक्षा जग को देते हैं,
खाना मीठा पर कम खाना,
हम दुनिया को समझाते हैं।
गुझिया-बरफी के चित्र देख,
अपने मन को बहलाते हैं।।
|
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सोमवार, 25 मार्च 2013
"मीठे से हम कतराते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर . आभार !
जवाब देंहटाएंले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.
मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है
कमाल है आपका ...कोई भी विषय आपके लेखन से अछूता नहीं रहा
जवाब देंहटाएंकविता कम पढ़ी, मिठाई अधिक देखी।
जवाब देंहटाएंदेख-देख मन ललचाया
जवाब देंहटाएंकविता पढ़ पेट भर आया ...:-))
होली मुबारक !
वाह-वाह ....... होली पर्व की हार्दिक वधाई शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसबसे पहले... "आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!" :-)
जवाब देंहटाएंऔर आप शुगर फ्री मिठाई तो खा सकते हैं.... आराम से खाइए... :-)
और दूसरी बात... एक दिन सारे बंधन तोड़ दीजिए ना! होली से बेहतर मौका इसके लिए फिर कब मिलेगा भला... :-)
~सादर!!!
अच्छा सदेश है। अभी 'प्रहलाद' नहीं हुआ है अर्थात प्रजा का आह्लाद नहीं हुआ है.आह्लाद -खुशी -प्रसन्नता जनता को नसीब नहीं है.करों के भार से ,अपहरण -बलात्कार से,चोरी-डकैती ,लूट-मार से,जनता त्राही-त्राही कर रही है.आज फिर आवश्यकता है -'वराह अवतार' की .वराह=वर+अह =वर यानि अच्छा और अह यानी दिन .इस प्रकार वराह अवतार का मतलब है अच्छा दिन -समय आना.जब जनता जागरूक हो जाती है तो अच्छा समय (दिन) आता है और तभी 'प्रहलाद' का जन्म होता है अर्थात प्रजा का आह्लाद होता है =प्रजा की खुशी होती है.ऐसा होने पर ही हिरण्याक्ष तथा हिरण्य कश्यप का अंत हो जाता है अर्थात शोषण और उत्पीडन समाप्त हो जाता है.http://krantiswar.blogspot.in/2011/03/blog-post_18.html
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा सीख देती सराहनीय सुंदर रचना,,
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,होली में एक दिन मीठा खाने की छूट है,,
होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,,
Recent post : होली में.
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
जवाब देंहटाएंप्रीतिकर ...होली की हार्दिक शुभकामनाएं .....मंगलमय हो रंगोत्सव ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंहोली का पर्व आपको सपरिवार शुभ और मंगलमय हो!
सादर
होली की शुभ कामनाएं !
जवाब देंहटाएं'प्रेम' पचाए, जो कुछ खाओ,प्यारे समझ 'प्रसाद' !
क्या परहेज़ जब मन में व्यापे,'होली का आल्हाद' ||
'प्रेम' पचाए, जो कुछ खाये, प्यारे समझ 'प्रसाद'!
जवाब देंहटाएंक्या परहेज़ जब मन में व्यापे, 'होली का आल्हाद' ||
होली की शुभ कामना !
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंहोलिकोत्सव की अनंत शुभकामनाएं
मधुमेह है ही ऐसी,बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति.होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएं