माता
मुझको भी तो,
अपनी
दुनिया में आने दो!
सीता-सावित्री बन करके, जग में नाम कमाने दो!
अच्छी
सी बेटी बनकर मैं,
अच्छे-अच्छे
काम करूँगी,
अपने
भारत का दुनिया में
सबसे
ऊँचा नाम करूँगी,
माता
मुझको भी तो अपना,
घर-संसार
सजाने दो!
माता
मुझको भी तो
अपनी
दुनिया में आने दो!
बेटे
दारुण दुख देते हैं
फिर
भी इतने प्यारे क्यों?
सुख
देने वाली बेटी के
गर्दिश
में हैं तारे क्यों?
माता
मुझको भी तो अपना
सा
अस्तित्व दिखाने दो!
माता
मुझको भी तो
अपनी
दुनिया में आने दो!
बेटों
की चाहत में मैया!
क्यों
बेटी को मार रही हो?
नारी
होकर भी हे मैया!
नारी
को दुत्कार रही हो,
माता
मुझको भी तो अपना
जन-जीवन
पनपाने दो!
माता
मुझको भी तो
अपनी दुनिया में आने दो! |
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सोमवार, 11 मार्च 2013
"दुनिया में आने दो!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna,ek beti ki maa se guhar
जवाब देंहटाएंbadhai guru ji
आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम इतनी सुन्दर रचना है की पढ़ते पढ़ते ह्रदय भर आया हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना... मन भर आया... आप की ये रचना 15-03-2013 की नई पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है... आप भी आना इस हलचल की शोभा बढ़ाने...
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ
गज़ब के उदगार संजोये हैं ……शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेटी की पुकार की मार्मिक प्रस्तुतिकरण,बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबिन मेरे नहीं बस सकता घर संसार
फिर क्यों गर्भ से लेकर योवन तक
लटकती हम पर नंगी तलवार
मेरी व्यथा पर करो विचार
सार्थकता लिये सशक्त रचना ...
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत मार्मिक प्रस्तुति, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर समसामायिक रचना..
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक और मार्मिक
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति महोदय.........
साभार.........
बिटिया घर का दबना होती।
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश ...
जवाब देंहटाएंसादर !
सार्थक अभिव्यक्ति शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंARE MAO,VETIO KI VYTHA KO BHI SAMJHO,UNHE AANE DO, IS DUNIYA ME,
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबेटे दारुण दुख देते हैं
जवाब देंहटाएंफिर भी इतने प्यारे क्यों?
सुख देने वाली बेटी के
गर्दिश में हैं तारे क्यों?
एक ज्वलंत सवाल पूछती जिसका जवाब देने को माँ क्या समाज में कोई तैयार नहीं ,
एक बिटिया की मार्मिक पुकार,
बहुत ही खूबसूरत रचना