माता का सम्मान करो,
जय
माता की कहने वालो।
भूतकाल
को याद करो,
नवयुग
में रहने वालो।।
झाड़
और झंखाड़ हटाकर, राह बनाना सीखो,
ऊबड़-खाबड़
धरती में भी, फसल उगाना सीखो,
गंगा
में स्नान करो,
कीचड़
में रहने वालो।
भूतकाल
को याद करो,
नवयुग
में रहने वालो।।
बेटों
के जैसा ही, बेटी से भी प्यार करो ना,
नारी
से नर पैदा होते, ये भी ध्यान धरो ना,
मत
जीवन बरबाद करो,
दुनिया
में रहने वालो।
भूतकाल
को याद करो,
नवयुग
में रहने वालो।।
दया-धर्म
और क्षमा-सरलता, ही सच्चे गहने हैं,
दुर्गा-सरस्वती-लक्ष्मी
ही, अपनी माता-बहनें हैं।
घर
अपना आबाद करो,
पूजन-वन्दन
करने वालो।
भूतकाल
को याद करो,
नवयुग
में रहने वालो।।
|
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गुरुवार, 25 अप्रैल 2013
" बेटी से भी प्यार करो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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आधे जन जब पीछे छूटें,
जवाब देंहटाएंकौन बढ़ा, किसको हम माने।
सुन्दर और सार्थक रचना !!
जवाब देंहटाएंसुंदर सन्देश .... समसामयिक कविता
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया सन्देश
जवाब देंहटाएंसन्देश देती सुन्दर रचना ....!!
जवाब देंहटाएंहनुमान जयंती की वधाई !
जवाब देंहटाएंदेश की दुर्द्क्षा पर खेद ! खेद !! खेद !!!
अच्छा विचार है |
बेटे ही तो नहीं बेटियाँ भी तो देश की ताक़त हैं |
पक्षपात दोनों में करना, सब से बड़ी हिमाकात है ||
अच्छा विचार है !
जवाब देंहटाएंबेटियाँ भी तो देश की ताक़त हैं |
लोग फिर भेद की करते क्यों हिमाकात हैं ||
बहुत सुन्दर हुज़ूर | बधाई
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सही कहा आपने।
जवाब देंहटाएं............
एक विनम्र निवेदन: प्लीज़ वोट करें, सपोर्ट करें!
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंये बेटियाँ ही शिव शक्तियां हैं बेहतरीन भाव अर्थ और राग लिए गीत .
जवाब देंहटाएंघर घर में होती है जिनकी पूजा ,चेतन में वो देवियाँ आ गईं ,
शिव शक्तियां आ गईं .
बन ज्ञान गंगा वो अमृत पिलाएं ,वो उमा बनके उमंग को बढ़ाएं ,
वो सर्व की प्यास बुझा रही हैं .
शिव शक्तियां आ गईं .
वो दुर्गा बन दुर्गुणों को मिटाएं ,वो काली बन सब कर्मों को हटाएं ,
वो संतोषी संतुष्ट बना रहीं हैं .
शिव शक्तियां आ गईं ,धरती पे शिव शक्तियां आ गईं .
वो लक्ष्मी बनकर ज्ञान धन को लुटाएं ,
वो सरस्वती बन ,ज्ञान वीणा सुनाएं ,
वरदानों को वर्षा रहीं हैं .
शिव शक्तियां आ गईं .....