नन्हे सुमन से
एक रचना (फोटोफीचर) आप कभी धोखा मत खाना!
कमल नहीं इनको बतलाना!!
शाम ढली तो ये ऐसे थे।
दोनों बन्द कली जैसे थे।।
जैसे-जैसे हुआ अंधेरा।
खुलता गया कली का चेहरा।।
बढ़ती रही सरल मुस्काने।
अदा अनोखी लगी दिखाने।।
अब पंखुड़ियाँ थीं
फैलाई।
देख कुमुदिनी थी शर्मायी।
दोनों ने जब नज़र मिलाई।
अपनी मोहक छवि दिखलाई।।
अन्धकार अब था गहराया।
कुमुद खुशी से था लहराया।।
एक रूप है एक रंग है!
कमल-कुमुद के भिन्न ढंग हैं।।
कमल हमेशा दिन में खिलता।
कुमुद रात में हँसता मिलता।।
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मंगलवार, 30 अप्रैल 2013
"फोटोफीचर-कुमुद" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत ही सुन्दर कविता,आभार.
जवाब देंहटाएंफूलों से मिलकर रहना सीखो,
आपस में खुश रहन सीखो....
फूल हैं ये कितने कोमल,
सुंदर दिखते हैं ये हर पल....
बढिया रचना पहले भी पढी है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...साथ ही जाना की कमल और कुमुदनी में क्या अन्तेर है...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर ...
बहुत सुन्दर कुमुदिनियो के फूल है
जवाब देंहटाएंदोनों में अंतर बताती बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति ,,,आभार
जवाब देंहटाएंRECENT POST: मधुशाला,
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुंदर प्रस्तुति ,,,आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना और चित्र
जवाब देंहटाएंफूल से शब्द, फूल के शब्द..
जवाब देंहटाएंकोमलता का एहसास ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहद खूब सूरत चित्रमय काव्य .आनंद वर्षन कर गया .
जवाब देंहटाएंकहां के चित्र हैं शास्त्री साहब., बहुत सुन्दर हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआपने तो चित्त प्रसन्न कर दिया -आभार !
जवाब देंहटाएं