वो ही करते हैं नशा, दौलत जिनके पास। फँस जाता है एक दिन, आम और क्या खास।। टिकता नहीं हराम का, द्व्य किसी के पास। आफत आती देखकर, होता चित्त उदास।। दान-पुण्य जैसे किये, वैसे मिलते भोग। अपने कर्मों का स्वयं, फल पाते हैं लोग।। मिलता फिल्मिस्तान में, धन-सम्पदा अकूत। आज उजागर हो रहीं, सब काली करतूत।। अभिनेताओं के हुए, जाहिर भ्रष्टाचार। माया नगरी में मची, अब तो चीख-पुकार।। हत्या हुई सुशान्त की, खुले बहुत से राज। अच्छे-अच्छों के यहाँ, ढीले हुए मिजाज।। हत्यारों के हो रहे, साबित सभी सबूत। सबके पीछे पड़ गया, अब सुशान्त का भूत।। बॉलीवुड में आजकल, आया है भूचाल। सिने-सितारों की हुईं, चाल आज विकराल।। |
सुन्दर प्रस्तुति
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