-- बेटी से आबाद हैं, सबके घर-परिवार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। -- दुनिया में दम तोड़ता, मानवता का वेद। बेटा-बेटी में बहुत, जननी करती भेद।। बेटा-बेटी के लिए, हों समता के भाव। मिल-जुलकर मझधार से, पार लगाओ नाव।। माता-पुत्री-बहन का, कभी न मिलता प्यार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। -- पुरुषप्रधान समाज में, नारी का अपकर्ष। अबला नारी का भला, कैसे हो उत्कर्ष।। कृष्णपक्ष की अष्टमी, और कार्तिक मास। जिसमें पुत्रों के लिए, होते हैं उपवास।। ऐसे रीति-रिवाज को, बार-बार धिक्कार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। -- जिस घर में बेटी रहे, समझो वे हरिधाम। दोनों कुल का बेटियाँ, करतीं ऊँचा नाम।। कुलदीपक की खान को, देते क्यों हो दंश। बिना बेटियों के नहीं, चल पायेगा वंश।। अगर न होती बेटियाँ, थम जाता संसार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। -- लुटे नहीं अब देश में, माँ-बहनों की लाज। बेटी को शिक्षित करो, उन्नत करो समाज।। एक पर्व ऐसा रचो, जो हो पुत्री पर्व। व्रत-पूजन के साथ में, करो स्वयं पर गर्व।। सेवा करने में कभी, सुता न माने हार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। -- माता बनकर बेटियाँ, देतीं जग को ज्ञान। शिक्षित माता हों अगर, शिक्षित हों सन्तान।। संविधान में कीजिए, अब ऐसे बदलाव। माँ-बहनों के साथ मैं, बुरा न हो बर्ताव।। क्यों बेटो की चाह में, रहे बेटियाँ मार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। -- |
बहुत सुंदर संदेश देती रचना।
जवाब देंहटाएंबेटी दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक हृदयस्पर्शी सृजन .
जवाब देंहटाएंमाता बनकर बेटियाँ, देतीं जग को ज्ञान।
जवाब देंहटाएंशिक्षित माता हों अगर, शिक्षित हों सन्तान।।
संविधान में कीजिए, अब ऐसे बदलाव।
माँ-बहनों के साथ मैं, बुरा न हो बर्ताव।।
क्यों बेटो की चाह में, रहे बेटियाँ मार।
बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।।
बहुत ही सुंदर भाव के साथ एक सुंदर संदेश आदरणीय शास्त्री जी आपकी हर रचना में एक शानदार मैसेज छुपा होता है
जिस घर में बेटी रहे, समझो वे हरिधाम।
जवाब देंहटाएंदोनों कुल का बेटियाँ, करतीं ऊँचा नाम।।
कुलदीपक की खान को, देते क्यों हो दंश।
बिना बेटियों के नहीं, चल पायेगा वंश।
बिल्कुल सटीक....
बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन
वाह!!!
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत रचना
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