जी हाँ, मैं सागर हूँ, बून्दें मेरा अस्तित्व हैं, जल मेरा प्राण है, किन्तु यदि ये बून्दें ही बगावत पर उतर आयें तो??? ............................................. जी हाँ, मैं पहाड़ हूँ, पत्थर मेरा अस्तित्व हैं, किन्तु यदि ये ही दरकने लगे तो??? ................................................. जी हाँ, मैं हिन्दी हूँ, भारत माता के माथे की बिन्दी हूँ, किन्तुबिन्दी के बिना, मेरा श्रंगार ??? ....................................... |
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मंगलवार, 1 सितंबर 2009
‘‘बिन्दी के बिना, मेरा श्रंगार?’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बिन बिन्दी श्रृंगार अधूरा
जवाब देंहटाएंबिन हिन्दी क्या भारत पूरा?
WAH .....
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है! आपकी हर एक रचना एक अलग सा रंग लाता है! सही में बिना बिंदी के श्रृंगार अधूरा रहता है!
जवाब देंहटाएंइस से पहले कि बिन्दी की चिन्दी चिन्दी करके
जवाब देंहटाएंचन्द चिन्दी चोर लोग
बाज़ार में
बेच आयें
__आपकी कविता प्रहरियों के लिए
एक चेतावनी है
_____________बधाई !
बेहद भावपूर्ण रचना .....बधाई
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी क्या लिखा है आपने बेहतरिन। जैसे बिन बिन्दी श्रृंगार अधूरा है वैसे ही बिन हिन्दी हिन्दुस्तान अधुरा है।
जवाब देंहटाएंसत्य बात कही आपने जो सारे हिन्दुस्तानी की आवाज़ है..हिन्दी बिना हिन्दुस्तान अधूरा...
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव से परिपूर्ण सुंदर रचना.
बहुत बहुत बधाई....
बहुत ही सुंदर रचना आपकी। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंडाक्टर साब ,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना है |
हिन्दी सही माएने में भारत माता के माथे की बिंदी है और यह बिंदी कभी भी मिटनी नहीं चाहिए |
PRANAAM SHAASHTRI JI ......
जवाब देंहटाएंSACH LIKHA HAI BINDI KE BEENA SHRANGAAR ADHOORA HAI ...... LAJAWAAB LIKHA HAI AAPNE ....GAHRA SANDESH HAI AAPKI IS RAXCHNA MEIN ....
डाक्टर साब ,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना है |
बहुत सुन्दर भारत की तस्वीर खीँची है हिन्दी के बिना भारत की शान ही अधूरी है बधाई इस भव्पूर्ण रचना के लिये
जवाब देंहटाएंलाजवाब..........अद्भुत..........क्या खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंसच हिंदी बिना हिंदुस्तान अधूरा है .
दिल को गहराई तक छू गयी रचना
बेहद भावपुण रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत खुब लिखा, ओर मेरे मन की बात लिख दी आप ने धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाह !! क्या बात कही आपने...बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंमैं भी श्री श्यामल जी के शब्द दुहराना चाहूंगी...
बिन बिन्दी श्रृंगार अधूरा
बिन हिन्दी क्या भारत पूरा???????
हिन्दी के बिना भारत की शान ही अधूरी है
जवाब देंहटाएंबधाई एक सारगर्भित रचना के लिए
हिंदी को समर्पित, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंbharat ke bhagyavidhataon se jabab mangati rachana...wah...wah...
जवाब देंहटाएंwah thoughtful creation..very good
जवाब देंहटाएं