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खुद बचाना और बचाना
जवाब देंहटाएंघरो में सब्जी साग लगाना है
सर बहुत सार्थक और प्रेरक कविता जब आलू के रेट २५ रुपये किलो हो जाए ....
बहुत सही कहा है
जवाब देंहटाएं------------
बंदरों का क्या करें ?
ना वाटिका बनाने दे रहे हैं और तो और अब तो कांटो वाले पेडों जैसे दाडिम को भी खा जा रहे है़
प्रेरक रचना!
जवाब देंहटाएंबढ़िया राय है, पर कोई अमल करे तब बात बने !
जवाब देंहटाएंआभार |
सार्थक संदेश!!
जवाब देंहटाएंडा. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”
जवाब देंहटाएंअभिवन्दन
शाकाहार. कुपोषण, स्वदेशी और वनस्पति प्रेम से ओत- प्रोत रचना के लिए बधाई.
- विजय
अति उत्तम सलाह.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर संदेश देती रचना । आभार ।
जवाब देंहटाएंek sarthak aur shakahar ke prati jagruk karti kavita hai.
जवाब देंहटाएंसत्य वचन शास्त्रीजी।आज बहुत ज़रूरी है आपकी बातों का मानना।
जवाब देंहटाएंमानवता के हम संवाहक, ऋषियों के हम वंशज हैं,
जवाब देंहटाएंदुनिया भर को फिर से, शाकाहारी हमें बनाना है...
प्रणाम शास्त्री जी .......... आपकी हर रचना में एक सुन्दर सन्देश छिपा होता है .......... इस बार भी कमल किया है आपने ,..... सच में शाकाहारी होने के कई फायदे हैं .........
शास्त्री जी बहुत उतम ओर सुंदर सन्देश दिया आप ने अपनी कविता मै.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
फल,सब्जियों और शाकाहार के आगे सभी आहार फेल है..एक संदेश देती हुई खूबसूरता रचना...धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंवाह !बहुत खूब .बधाई!!
जवाब देंहटाएंहरित और श्वेत दोनों ही क्रान्तियों को पोषित करती सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंछाछ और लस्सी कलियुग में अमृततुल्य कहाते हैं,
जवाब देंहटाएंपैप्सी, कोका-कोला को भारत से हमें भगाना है।
शोषण और कुपोषण से, खुद बचना और बचाना है
maine yeh sankalp bahut pehle hi le liya tha........ pepsi coke ko maine bahut pehle hi apne life mein ban kar rakha hai....
बहुत ही सुंदर संदेश देते हुए इस शानदार रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंशोषण और कुपोषण से, खुद बचना और बचाना है ..
जवाब देंहटाएंSAMAJOPYOGI RACHANA LIKHNE KE LIYE ....DHANYABAD..