प्रेय को मन से हटाओ, श्रेय की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। अल्पना को रंग की होती जरूरत, कल्पना को ढंग की होती जरूरत, स्वप्न कोरे मत दिखाओ, गेह की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। प्यार ही तो जिन्दगी का सार है, प्रीत के बल पर टिका संसार है, बादलों को गुनगुनाओ, मेह की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। रूप है इक धूप, ढल ही जायेगी, स्वर्ण-काया खाक में मिल जायेगी, कामनाएँ मत बढ़ाओ, ध्येय की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। |
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बुधवार, 23 सितंबर 2009
‘‘नेह की बातें करो’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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अद्भूत रचना! हर एक पंक्तियाँ ज़िन्दगी की सच्चाई कहती है और आपने बहुत ही सुंदर ढंग से शब्दों में पिरोया है!
जवाब देंहटाएंरूप है इक धूप, ढल ही जायेगी,
जवाब देंहटाएंस्वर्ण-काया खाक में मिल जायेगी,
कामनाएँ मत बढ़ाओ, ध्येय की बातें करो।
देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
मयंक जी बहुत सुन्दर और सश्क्त रचना है बधाई
wakai mein swarn kaaya ek din khaak mein mil jaayegi...lekin phir bhi akal nahi aati insaan ko...ahankaar mein jiye jaa raha hai...
जवाब देंहटाएंachhi rachna shastri ji...
बहुत बढ़िया कविता..बधाई..
जवाब देंहटाएंदो लाइन हम ने भी बढ़ा दिया..देखिएगा..
स्वार्थ को तज,प्रेम रस की बात करो,
आत्मीय प्रेम पर मत आघात करो,
दोस्तों से स्नेह की बातें करो।
देह छोड़ नेह की बातें करो।
एक और सुन्दर रचना शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंप्रेय को मन से हटाओ, श्रेय की बातें करो।
जवाब देंहटाएंदेह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
यही तो मेरे मन में भी था लेकिन मुझे आप जैसा सुन्दर लिखना नहीं आता . आपने सही लिखा है और अगर बुद्धजीवी लोग है तो इसे अपनाए और हमारा देश खुशहाल बनाए !
पंकज मिश्र
बहुत बढ़िया कविता..बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार
जवाब देंहटाएंरूप है इक धूप, ढल ही जायेगी,
जवाब देंहटाएंस्वर्ण-काया खाक में मिल जायेगी,
कामनाएँ मत बढ़ाओ, ध्येय की बातें करो।
देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
bahut bhi gahan abhivyakti .........ek sashakt rachna hai......adhayi.
बेहतरीन रचना, शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंek ek shabd bol rahen hain ismein..........
जवाब देंहटाएंneh ki baat karo.........
gr8........
अब क्या कहूं! जो कहना चाहती थी, सबने कह दिया.विलम्ब के लिये क्षमा प्रार्थी हूं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
नेह की बात हो ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ..!!
bahut hi sundar aur sacchi rachna....
जवाब देंहटाएंप्यार ही तो जिन्दगी का सार है,
प्रीत के बल पर टिका संसार है,
बादलों को गुनगुनाओ, मेह की बातें करो।
देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
Tooo Gr8888....!Pranaam sweekaare...!