मित्र का साथ निभाओ तो कोई बात बने। राम सा खुद को बनाओ तो कोई बात बने।। एक दिन मौज मनाने से क्या भला होगा? रोज दीवाली मनाओ तो कोई बात बने। राम सा खुद को बनाओ तो कोई बात बने।। इन बनावट के उसूलों में धरा ही क्या है? प्रीत हर दिल में जगाओ तो कोई बात बने। राम सा खुद को बनाओ तो कोई बात बने।। क्यों खुदा कैद किया दैर-ओ-हरम में नादां, रब को सीने में सजाओ तो कोई बात बने। राम सा खुद को बनाओ तो कोई बात बने।। सिर्फ पुतलों के जलाने से फयदा क्या है? दिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने। राम सा खुद को बनाओ तो कोई बात बने।। |
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सोमवार, 28 सितंबर 2009
‘‘कोई बात बने’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा, दशहरे की रामराम.
जवाब देंहटाएं"सिर्फ पुतलों के जलाने से फयदा क्या है?
जवाब देंहटाएंदिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।"
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सुंदर कविता!
जवाब देंहटाएंविजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सुंदर कविता, सिर्फ़ पुतले जलाने.... बहुत अच्छे जी.
जवाब देंहटाएंआप को ओर आप के परिवार को विजयदशमी की शुभकामनाएँ!
प्रेरक संदेश देती सुन्दर रचना । आभार ।
जवाब देंहटाएं'सिर्फ पुतलों के जलाने से फयदा क्या है?
जवाब देंहटाएंदिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।'
- साधुवाद.
विजयादशमी की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंसच कहा दिल का रावण जलाना होगा ......... इस देश को स्वर्ग बनाना होगा ...... लाजवाब लिख है ....आपको विजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं ..........
जवाब देंहटाएंयह अहसास रंग लाये तो कोई बात बने ।
जवाब देंहटाएंआभार ।
सिर्फ पुतलों के जलाने से फयदा क्या है?
जवाब देंहटाएंदिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।
राम सा खुद को बनाओ तो कोई बात बने।।
behtreen bhav............sach kaha.kash aisa ho paye.
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसिर्फ है पुतलों के जलाने से फयदा क्या?
जवाब देंहटाएंदिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने। SUNDAR SANDESH... SUBHKAMNAYEN...