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दीन-दुखियों के दुख से हों आँखें सजल।
जवाब देंहटाएंहै वही जिन्दगी की मुकम्मल गजल।।
क्या गज़ल लिखी है ………………आज तो ज़िन्दगी को आईना दिखा दिया……………हर शब्द एक सुन्दर संदेश दे रहा है……………चित्रमयी गज़ल पढवाने का बहुत बहुत आभार और बधाई इतनी प्यारी गज़ल के लिये।
बहुत सुन्दर ग़ज़ल , देखिये किस तरह हिंदी उर्दू के गले लग रही है , ये भी भाईचारा है .
जवाब देंहटाएंबाकी सारे सन्देश तो आपने अपनी ग़ज़ल में दे दिए हैं ...
दीन-दुखियों के दुख से हों आँखें सजल।
जवाब देंहटाएंहै वही जिन्दगी की मुकम्मल गजल।।
बहुत ही भावपूर्ण और प्रासंगिक भी.....सुंदर रचना
pahli do panktiyaan hi kamaal kar gayi...beautiful!
जवाब देंहटाएंदीन-दुखियों के दुख से हों आँखें सजल।
जवाब देंहटाएंहै वही जिन्दगी की मुकम्मल गजल।।
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां, भावमय प्रस्तुति ।
उज्ज्वल भावों से संयुक्त एक उत्तम ग़ज़ल...बधाई।
जवाब देंहटाएंआपका गीत पढना अच्छा लगता है। रचनाएं प्रेरक होती हैं।
जवाब देंहटाएंअपकी यह पोस्ट अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंतीन गो बुरबक! (थ्री इडियट्स!)-2 पर टिप्पणी के लिए आभार!
बहुत सुंदर ओर भाव्पुर्ण कविता धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण और सुन्दर रचना है बधाई।
जवाब देंहटाएंझूठी रस्म-औ-रवायत से जो लड़ सके,
जवाब देंहटाएंजो ज़माने के दस्तूर को दे बदल।
है वही जिन्दगी की ……………….।
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
झूठी रस्म-औ-रवायत से जो लड़ सके,
जवाब देंहटाएंजो ज़माने के दस्तूर को दे बदल ...
सच कहा है शास्त्री जी ... जिंदा दिली तो इसे ही कहते हैं .... बहुत अच्छी ग़ज़ल है .....
बहुत ही भावमयी रचना ... शुभकानाएं
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंएकता-भाईचारा सलामत रहे,
हों दिलों में सभी के मुहब्बत तरल। ...
एक खूबसूरत सन्देश देती ग़ज़ल ।
आभार आपका ।
.
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण गज़ल! बढ़िया लगा!
जवाब देंहटाएंक्या बात है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सामयिक।
जवाब देंहटाएंयह सचमुच संवेदना को झकझोरने वाली गज़ल है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंbahut sundar!
जवाब देंहटाएंaankhen sajal ho gayin!
regards,
सुन्दर भावोँ से सजी बहुत ही अच्छी गजल...
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