धान्य से भरपूर, खेतों में झुकी हैं डालियाँ। धान के बिरुओं ने, पहनी हैं नवेली बालियाँ।। क्वार का आया महीना, हो गया निर्मल गगन, ताप सूरज का घटा, बहने लगी शीतल पवन, देवपूजन के लिए, सजने लगी हैं थालियाँ। सुमन-कलियों की चमन में, डोलियाँ सजने लगीं, भ्रमर गुंजन कर रहे, शहनाइयाँ बजने लगीं, प्रणय-मण्डप में मधुर, बजने लगीं हैं तालियाँ। |
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शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010
धान के बिरुओं ने पहनी हैं नवेली बालियाँ।
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बेहद सुन्दर गीत रचा है ……………पता चलता है कि मौसम बदल गया है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत !!
जवाब देंहटाएंसच...आनन्दित करने वाला गीत है.
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर गीत रचा है …
जवाब देंहटाएंआभार
आओं देखें आज क्यों और कैसे ?विज्ञान मे क्या हलचल है
आओं देखें आज विज्ञान गतिविधियाँ मे क्या हलचल है
waah wah !
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
सुंदर गीत.
जवाब देंहटाएंरामराम
बहुत प्यारा गीत
जवाब देंहटाएंकविता मे और जीवन में यह दृश्य सदा बना रहे यह शुभकामना ।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंया देवी सर्व भूतेषु सर्व रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
-नव-रात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं-
बहुत सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत । आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत बधाई
जवाब देंहटाएंmausam ke badalte swaroop ko shabdon me pirokar aapki yeh prastuti sarahniye hai.
जवाब देंहटाएं"क्वार का आया महीना,
जवाब देंहटाएंहो गया निर्मल गगन,
ताप सूरज का घटा,
बहने लगी शीतल पवन,
देवपूजन के लिए,
सजने लगी हैं थालियाँ। "...
kahan likhte hain log aise prakriti ke geet.. subah subah man nirmal ho gaya.. adbhud geet!
बहुत सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएं