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एक मनुष्य दंभ ,
जवाब देंहटाएंजिसको दो फल,
तो जाने कब पत्थर मारे,
एक ये हरित स्तंभ,
मारो पत्थर तो,
पुष्प कदम्ब दे जातें है ...
बहुत सुन्दर रचना, लिखते रहिये ...
बड़ी सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंbahut achcha sandesh deti rachana sir
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश देती रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और प्रभावी रचना.....
जवाब देंहटाएंधरती का श्रृंगार अमर,
जवाब देंहटाएंउन पेड़ों की हरियाली से,
कदम-कदम पर, ये
जीवन में काम हमारे आते हैं।
saarthak prastuti !
.
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत और सन्देश देती हुई शानदार रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!
जवाब देंहटाएंवृक्ष की महत्ता बताती हुई एक सुन्दर रचना है ।
जवाब देंहटाएंमयंक जी, जीवन रस से सराबोर शानदार कविता।
जवाब देंहटाएं................
वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।
बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंsunder kavita
जवाब देंहटाएं----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com